घातक्रिया: Difference between revisions

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* इस नामावली में घातों को जोड़ने का नियम बरता गया है।  
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* घात क्रिया मूल क्रिया का विलोम है। मूल क्रिया में संख्या का कोई मूल ज्ञात किया जाता है।
* घात क्रिया मूल क्रिया का विलोम है। मूल क्रिया में संख्या का कोई मूल ज्ञात किया जाता है।
* प्रक्षेप ज्यामिति में घात क्रिया एक ऋजुरेखा पर स्थित बिंदुओं में, अथवा एक पट-सूची (flat pencil) की रेखाओं में, अथवा समाक्षी सूची (axial pencil) के समतलों आदि में, विशेषप्रकार का एक संबंध है।  
* प्रक्षेप ज्यामिति में घात क्रिया एक ऋजुरेखा पर स्थित बिंदुओं में, अथवा एक पट-सूची ''(Flat pencil)'' की रेखाओं में, अथवा समाक्षी सूची ''(Axial pencil)'' के समतलों आदि में, विशेषप्रकार का एक संबंध है।  


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Latest revision as of 07:28, 14 February 2021

  • घातक्रिया (अंग्रेज़ी:Involution, इनवॉल्यूशन) अंकगणित की एक क्रिया है, जिसमें किसी संख्या को लगातार अपने से दो या अधिक बार गुणा किया जाता है।
  • जितने बार गुणा किया जाता है, वह उस संख्या का घात कहलाता है।
  • घात को संख्या के ऊपर दाहिनी ओर थोड़ा हटाकर लिखा जाता है; इस प्रकार 4³ = 64। घात-संकेत के आविष्कार के पहले यूनानी द्वितीय घात को 'चतुष्कोण संख्या' अथवा 'घात' कहते थे। डायोफ़ैंटस ने 275 ईसवी के लगभग 'तृतीय घात' को 'घन' कहा, 'चतुर्थ घात' को 'घातघात' और 'पंचमघात' को 'घातधन', इत्यादि।
  • इस नामावली में घातों को जोड़ने का नियम बरता गया है।
  • घात क्रिया मूल क्रिया का विलोम है। मूल क्रिया में संख्या का कोई मूल ज्ञात किया जाता है।
  • प्रक्षेप ज्यामिति में घात क्रिया एक ऋजुरेखा पर स्थित बिंदुओं में, अथवा एक पट-सूची (Flat pencil) की रेखाओं में, अथवा समाक्षी सूची (Axial pencil) के समतलों आदि में, विशेषप्रकार का एक संबंध है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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