बुंदेलखंड अंग्रेज़ी राज्य में विलयन: Difference between revisions
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
व्यवस्थापन (talk | contribs) m (Text replace - "{{लेख प्रगति" to "{{प्रचार}} {{लेख प्रगति") |
व्यवस्थापन (talk | contribs) m (Text replace - " सन " to " सन् ") |
||
(One intermediate revision by one other user not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
[[छत्रसाल]] के समय तक [[बुंदेलखंड]] की सीमायें अत्यंत व्यापक थीं। | [[छत्रसाल]] के समय तक [[बुंदेलखंड]] की सीमायें अत्यंत व्यापक थीं। | ||
*इस प्रदेश में उत्तर प्रदेश के [[झाँसी]], [[हमीरपुर]], [[जालौन]], [[बांदा]]। | *इस प्रदेश में उत्तर प्रदेश के [[झाँसी]], [[हमीरपुर उत्तर प्रदेश|हमीरपुर]], [[जालौन]], [[बांदा]]। | ||
*मध्यप्रदेश के [[सागर]], [[जबलपुर]], [[नरसिंहपुर]], [[होशंगाबाद]], [[मण्डला]]। | *मध्यप्रदेश के [[सागर]], [[जबलपुर]], [[नरसिंहपुर]], [[होशंगाबाद]], [[मण्डला]]। | ||
*मालवा संघ के [[शिवपुरी]], [[कटेरा]], [[पिछोर]], [[कोलारस]], [[भिण्ड]], [[लहार]] और मोण्डेर के ज़िले और परगने शामिल थे। | *मालवा संघ के [[शिवपुरी]], [[कटेरा]], [[पिछोर]], [[कोलारस]], [[भिण्ड]], [[लहार]] और मोण्डेर के ज़िले और परगने शामिल थे। | ||
इस पूरे भूभाग का क्षेत्रफल लगभग 3000 वर्गमील था। बुंदेलखंड में अनेक जागीरें और छोटे-छोटे राज्य अंग्रेज़ी राज्य में आने से पूर्व थे। बुंदेलखंड कमिश्नरी का निर्माण | इस पूरे भूभाग का क्षेत्रफल लगभग 3000 वर्गमील था। बुंदेलखंड में अनेक जागीरें और छोटे-छोटे राज्य अंग्रेज़ी राज्य में आने से पूर्व थे। बुंदेलखंड कमिश्नरी का निर्माण सन् 1820 में हुआ। सन् 1835 में जालौन, हमीरपुर, बांदा के ज़िलों को [[उत्तर प्रदेश]] और सागर के ज़िले को [[मध्य प्रदेश]] में मिला दिया गया था, [[आगरा]] से इनकी देख रेख होती थी। सन् 1839 में सागर और दामोह ज़िले को मिलाकर एक कमिश्नरी बना दी गई झाँसी से जिसकी देखरेख होती थी। झाँसी से [[नौगाँव]] में कुछ दिनों बाद कमिश्नरी का कार्यालय आ गया। सन् 1842 में सागर, दामोह ज़िलों में अंग्रेज़ों के ख़िलाफ़ बहुत बड़ा आन्दोलन हुआ परंतु फूट डालने की नीति के द्वारा शान्ति स्थापित की गई। इसके बाद [[बुंदेलखंड का इतिहास]] अंग्रेज़ी साम्राज्य की नीतियों की ही अभिव्यक्ति करता है। [[भारत]] के अनेक शहीदों द्वारा समय समय पर स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए आन्दोलन छेड़े गए परंतु [[महात्मा गाँधी|गाँधी]] जी जैसे नेता के आने से पहले कुछ ठोस उपलब्धि संभव न हुई। | ||
बुंदेलखंड का इतिहास आदि से अंत तक विविधताओं से भरा है परंतु सांस्कृतिक और धार्मिक एकता की यहाँ एक स्वस्थ परंपरा है। | बुंदेलखंड का इतिहास आदि से अंत तक विविधताओं से भरा है परंतु सांस्कृतिक और धार्मिक एकता की यहाँ एक स्वस्थ परंपरा है। | ||
Latest revision as of 14:10, 6 March 2012
छत्रसाल के समय तक बुंदेलखंड की सीमायें अत्यंत व्यापक थीं।
- इस प्रदेश में उत्तर प्रदेश के झाँसी, हमीरपुर, जालौन, बांदा।
- मध्यप्रदेश के सागर, जबलपुर, नरसिंहपुर, होशंगाबाद, मण्डला।
- मालवा संघ के शिवपुरी, कटेरा, पिछोर, कोलारस, भिण्ड, लहार और मोण्डेर के ज़िले और परगने शामिल थे।
इस पूरे भूभाग का क्षेत्रफल लगभग 3000 वर्गमील था। बुंदेलखंड में अनेक जागीरें और छोटे-छोटे राज्य अंग्रेज़ी राज्य में आने से पूर्व थे। बुंदेलखंड कमिश्नरी का निर्माण सन् 1820 में हुआ। सन् 1835 में जालौन, हमीरपुर, बांदा के ज़िलों को उत्तर प्रदेश और सागर के ज़िले को मध्य प्रदेश में मिला दिया गया था, आगरा से इनकी देख रेख होती थी। सन् 1839 में सागर और दामोह ज़िले को मिलाकर एक कमिश्नरी बना दी गई झाँसी से जिसकी देखरेख होती थी। झाँसी से नौगाँव में कुछ दिनों बाद कमिश्नरी का कार्यालय आ गया। सन् 1842 में सागर, दामोह ज़िलों में अंग्रेज़ों के ख़िलाफ़ बहुत बड़ा आन्दोलन हुआ परंतु फूट डालने की नीति के द्वारा शान्ति स्थापित की गई। इसके बाद बुंदेलखंड का इतिहास अंग्रेज़ी साम्राज्य की नीतियों की ही अभिव्यक्ति करता है। भारत के अनेक शहीदों द्वारा समय समय पर स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए आन्दोलन छेड़े गए परंतु गाँधी जी जैसे नेता के आने से पहले कुछ ठोस उपलब्धि संभव न हुई। बुंदेलखंड का इतिहास आदि से अंत तक विविधताओं से भरा है परंतु सांस्कृतिक और धार्मिक एकता की यहाँ एक स्वस्थ परंपरा है।
|
|
|
|
|