क्षतज: Difference between revisions
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|उदाहरण=<poem>तुम लगते केवल मेरे हो, तुमसे बढ़ता मेरा लगाव,छलक रहे इन शब्दों में, ढाले है मैंने '''क्षतज''' भाव | |उदाहरण=<poem>तुम लगते केवल मेरे हो, तुमसे बढ़ता मेरा लगाव,छलक रहे इन शब्दों में, ढाले है मैंने '''क्षतज''' भाव | ||
किस भांति जताऊं मै तुमको, जो दर्द [[ | किस भांति जताऊं मै तुमको, जो दर्द [[हृदय]] में आता है, मन विरह व्यथा में रोता है, नित आँखों से बह जाता है</poem> | ||
|विशेष=वैद्यक में सात प्रकार की प्यासों में से एक जो घाव में से बहुत अधिक रक्त निकल जाने के कारण लगती है। | |विशेष=वैद्यक में सात प्रकार की प्यासों में से एक जो घाव में से बहुत अधिक रक्त निकल जाने के कारण लगती है। | ||
|विलोम= | |विलोम= |
Latest revision as of 09:53, 24 February 2017
हिन्दी | ख़ून, रक्त, घाव का पीव, मवाद, लाल रंग का, क्षत या आघात से उत्पन्न होने वाला। |
-व्याकरण | विशेषण, धातु, पुल्लिंग |
-उदाहरण | तुम लगते केवल मेरे हो, तुमसे बढ़ता मेरा लगाव,छलक रहे इन शब्दों में, ढाले है मैंने क्षतज भाव |
-विशेष | वैद्यक में सात प्रकार की प्यासों में से एक जो घाव में से बहुत अधिक रक्त निकल जाने के कारण लगती है। |
-विलोम | |
-पर्यायवाची | घायल, ज़ख़्मी, क्षत, शस्त |
संस्कृत | [क्षत+ज] |
अन्य ग्रंथ | |
संबंधित शब्द | क्षत |
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