गुड़हल: Difference between revisions
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गुड़हल का ज़्यादा मात्रा में सेवन करने से आँखों में कीड़े उत्पन्न हो जाते हैं। गुड़हल ठंडी प्रकृति वालों के लिए हानिकारक होता है। | गुड़हल का ज़्यादा मात्रा में सेवन करने से आँखों में कीड़े उत्पन्न हो जाते हैं। गुड़हल ठंडी प्रकृति वालों के लिए हानिकारक होता है।[[चित्र:Hibiscus.jpg|thumb|300px|left|'''गुड़हल''']] | ||
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*गुड़हल शीतल, मधुर, स्निग्ध (चिकना), पुष्टिकारक, गर्भकारक, ग्राही वालों को हितकारी, वमन और कृमिका उत्पन्न करने वाला, तथा दाह, प्रमेह, बवासीर, धातुरोग (वीर्य की बीमारी), [[प्रदर]], गंजापन आदि रोगों को हराने वाला है। | *गुड़हल शीतल, मधुर, स्निग्ध (चिकना), पुष्टिकारक, गर्भकारक, ग्राही वालों को हितकारी, वमन और कृमिका उत्पन्न करने वाला, तथा दाह, प्रमेह, बवासीर, धातुरोग (वीर्य की बीमारी), [[प्रदर]], गंजापन आदि रोगों को हराने वाला है। |
Latest revision as of 06:21, 8 May 2016
thumb|250px|गुड़हल का फूल
China Rose Flower
गुड़हल एक सुगंन्धित फूल है। गुड़हल का पौधा भारत में बाग-बगीचों, घर के गमलों, क्यारियों और मंदिर के बगीचों में फूलों की सुंदरता के कारण लगाया जाता है, गुड़हल के औषधीय गुणों का ज्ञान बहुत कम लोगों को होता है।
गुड़हल का वृक्ष
गुड़हल का पेड़ उसके फूल के आकर्षक रंगों, नैसर्गिक सौंन्दर्य तथा लुभावने घंटाकार पुष्प के कारण उद्यान, घर और मंदिरों में लगाये जाते हैं। श्वेत या श्वेताभ लाल रंग के पुष्पवाला गुड़हल विशेष गुणकारी होता है। गुड़हल की केसर बाहर से निकली हुई अलग दिखाई देती है। इसमें अलग से कोई फल नहीं लगता है।
जातियाँ
गुड़हल की कई प्रकार की जातियाँ होती है। जैसे सफ़ेद, लाल, गेरुआ आदि। सफ़ेद गुड़हल अधिक गुणकारी होता है। लाल गुड़हल के फूल का रस चाकू पर लगाकर उससे नीबू काटने पर अन्दर से लहू के जैसा रंग का रस निकलता है।
गुड़हल के फूल
गुड़हल के फूल, ग्राही, लघु, कड़ुवे और केश को बढ़ाने वाले होते हैं।
रंग
गुड़हल का फूल इकहरा, दुहरा, तिहरा, लाल, श्वेत या श्वेत लाल, बैंगनी पीला, नारंगी इत्यादि कई रंगों का होता है। गुड़हल लाल और गुलाबी रंग का होता है।
स्वाद
गुड़हल फीके और लुभावदार स्वाद का होता हैं।
स्वरूप
गुड़हल के पेड़ मध्यम आकार के होते हैं। ये अक्सर बागों और उपवनों में पाये जाते हैं। गुड़हल के पत्ते अडूसे के पत्तों के जैसे बड़े-बड़े, फूल भी बड़ा-बड़ा तथा बहुत ही गाढ़े लाल रंग का होता है।
स्वभाव
गुड़हल की तासीर ठंडी होती है।
हानिकारक
गुड़हल का अधिक मात्रा में उपयोग नजला को पैदा करता है।
दोषों को दूर करने वाला
गुड़हल के दोषों को मिश्री दूर करती है।
तुलना
गुड़हल की तुलना चाँदनी के फूलों से की जा सकती है।
मात्रा
3 से 6 ग्राम गुड़हल के फूल, रस 10 से 20 मिलीमीटर, पिसी हुई लुग्दी 3 से 6 ग्राम तक सेवन कर सकते हैं।
हानिकारक
गुड़हल का ज़्यादा मात्रा में सेवन करने से आँखों में कीड़े उत्पन्न हो जाते हैं। गुड़हल ठंडी प्रकृति वालों के लिए हानिकारक होता है।thumb|300px|left|गुड़हल
गुण
- गुड़हल शीतल, मधुर, स्निग्ध (चिकना), पुष्टिकारक, गर्भकारक, ग्राही वालों को हितकारी, वमन और कृमिका उत्पन्न करने वाला, तथा दाह, प्रमेह, बवासीर, धातुरोग (वीर्य की बीमारी), प्रदर, गंजापन आदि रोगों को हराने वाला है।
- गुड़हल के फूल हल्के, मलरोधक, कड़वे और केशवर्द्धक होते हैं।
- ये दिल को प्रसन्न करते हैं। सर्दी से होने वाले उन्मादों को दूर करता है।
- इसके पत्ते फूल और फल तीनों ही उन्माद के लिए लाभकारी होता है। गुड़हल स्मरण शक्ति (दिमागी ताकत) को बढ़ाता है।
- गुड़हल दिमाग को बलवान बनाता है। धातु को पुष्ट करता है तथा बाजीकारक (संभोग शक्ति को बढ़ाने वाला) होता है।
- यह दिल को शांति देने वाला, दिमाग की ख़राब वायु को निकालने वाला स्मरण शक्ति और कामशक्ति को बढ़ाने वाला कहा गया है।
- गुड़हल के पत्तो का लेप सूजन को मुलायम करके दर्द को कम करता है।
वैज्ञानिक अध्ययन
वैज्ञानिक अध्ययन के अनुसार गुड़हल के पुष्प में लौह, फॉस्फोरस, कैल्शियम, राइबोफ्लोबिन, थियामिन, नियासिन व विटामिन सी अल्प मात्रा में होता है। गुड़हल के पत्तों में थोड़ी सी मात्रा में केरोटीन पाया जाता है।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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