अनुष्ठान: Difference between revisions
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|अर्थ=कार्य का आरम्भ, शास्त्र में बताए गये किसी धार्मिक कृत्य को नियमपूर्वक करना, मंत्र-सिद्धि के उद्देश्य से किसी मंत्र का विशिष्ट संख्या में जप/पुरश्चरण। | |अर्थ=कार्य का आरम्भ, शास्त्र में बताए गये किसी धार्मिक कृत्य को नियमपूर्वक करना, मंत्र-सिद्धि के उद्देश्य से किसी मंत्र का विशिष्ट संख्या में जप/पुरश्चरण। | ||
|व्याकरण=[[पुल्लिंग]] | |व्याकरण=[[पुल्लिंग]] | ||
|उदाहरण= | |उदाहरण=एक बार [[जनमेजय]] ने [[अश्वमेध यज्ञ]] का '''अनुष्ठान''' किया। | ||
|विशेष=अनुष्ठान के पाँच अंग हैं- | |विशेष=अनुष्ठान के पाँच अंग हैं- जप, होम, तर्पण, अभिषेक और ब्राह्मण-भोजन | ||
|विलोम= | |विलोम= | ||
|पर्यायवाची= | |पर्यायवाची= |
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