महाभारत सामान्य ज्ञान 34: Difference between revisions
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||[[चित्र:Bhishma1.jpg|right|100px|भीष्म द्वारा श्रीकृष्ण की प्रतिज्ञा भंग करवाना]][[भीष्म]] [[महाभारत]] के प्रमुख पात्रों में से एक हैं। ये महाराजा शांतनु के पुत्र थे। अपने [[पिता]] को दिये गये वचन के कारण इन्होंने 'आजीवन ब्रह्मचर्य' का व्रत लिया था। गंगा ने भीष्म को शिशु अवस्था में अपने पति महाराज [[शांतनु]] को यह कहते हुए कि, "राजन! यह आपका पुत्र है तथा इसका नाम 'देवव्रत' है, इसे ग्रहण करो। यह पराक्रमी होने के साथ ही | ||[[चित्र:Bhishma1.jpg|right|100px|भीष्म द्वारा श्रीकृष्ण की प्रतिज्ञा भंग करवाना]][[भीष्म]] [[महाभारत]] के प्रमुख पात्रों में से एक हैं। ये महाराजा शांतनु के पुत्र थे। अपने [[पिता]] को दिये गये वचन के कारण इन्होंने 'आजीवन ब्रह्मचर्य' का व्रत लिया था। गंगा ने भीष्म को शिशु अवस्था में अपने पति महाराज [[शांतनु]] को यह कहते हुए कि, "राजन! यह आपका पुत्र है तथा इसका नाम 'देवव्रत' है, इसे ग्रहण करो। यह पराक्रमी होने के साथ ही विद्वान् भी होगा। [[अस्त्र शस्त्र|अस्त्र]] विद्या में यह [[परशुराम]] के समान होगा।" महाराज शांतनु अपने पुत्र 'देवव्रत' को पाकर अत्यन्त प्रसन्न हुये और उसे अपने साथ [[हस्तिनापुर]] लाकर युवराज घोषित कर दिया।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[भीष्म]] | ||
{निम्नलिखित में से कौन [[दुर्योधन]] की बहन थी? | {निम्नलिखित में से कौन [[दुर्योधन]] की बहन थी? | ||
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||[[चित्र:Jaydrath-vadh.jpg|right|120px|अर्जुन द्वारा जयद्रथ-वध]][[महाभारत]] में [[दुःशला]] राजा [[धृतराष्ट्र]] की पुत्री और [[दुर्योधन]] आदि [[कौरव|कौरवों]] की बहन थी। इसका जन्म [[गांधारी]] के गर्भ से हुआ था। बाद में इसका [[विवाह]] [[सिंधु]] नरेश [[जयद्रथ]] के साथ में हुआ, जिसका वध [[अर्जुन]] द्वारा [[कुरुक्षेत्र]] में किया गया। जयद्रथ की मृत्यु के | ||[[चित्र:Jaydrath-vadh.jpg|right|120px|अर्जुन द्वारा जयद्रथ-वध]][[महाभारत]] में [[दुःशला]] राजा [[धृतराष्ट्र]] की पुत्री और [[दुर्योधन]] आदि [[कौरव|कौरवों]] की बहन थी। इसका जन्म [[गांधारी]] के गर्भ से हुआ था। बाद में इसका [[विवाह]] [[सिंधु]] नरेश [[जयद्रथ]] के साथ में हुआ, जिसका वध [[अर्जुन]] द्वारा [[कुरुक्षेत्र]] में किया गया। जयद्रथ की मृत्यु के पश्चात् दु:शला ने अपनी संरक्षता में अपने छोटे बालक 'सुरथ' को सिंहासन पर बैठाया। [[पांडव|पांडवों]] के '[[अश्वमेध यज्ञ]]' के समय अर्जुन घोड़ा लेकर जब सिंधु देश पहुँचा, तब सुरथ भय से इतना डर गया कि उसने प्राण त्याग दिये।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[दुःशला]] | ||
{निम्न में से कौन [[अश्वत्थामा]] की माता थीं? | {निम्न में से कौन [[अश्वत्थामा]] की माता थीं? |
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