माधवराव नारायण: Difference between revisions
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(पुस्तक 'भारतीय इतिहास कोश') पृष्ठ संख्या-358 | (पुस्तक 'भारतीय इतिहास कोश') पृष्ठ संख्या-358 |
Revision as of 10:23, 21 March 2011
माधवराव नारायण को माधवराव तृतीय के नाम से भी जाना जाता है। अपने पिता पेशवा नारायणराव के मरने के कुछ दिन बाद ही इसका जन्म हुआ और 1774 ई. में यह पिता का उत्तराधिकारी बना। उस समय वह शिशु था, इसलिए शासन कार्य चलाने के लिए एक समिति नियुक्त कर दी गई और नाना फड़नवीस उसका प्रधान नियुक्त हुआ। माधवराव का दादा (उसके पिता नारायणराव का चाचा) राघोबा ईस्ट इण्डिया कम्पनी से षड़यंत्र करके स्वयं पेशवा बनने का प्रयत्न करने लगा। इसके फलस्वरूप प्रथम मराठा युद्ध (1775-1782 ई.) हुआ। जिसका अन्त साल्बाई की सन्धि (1782 ई.) से हुआ। इस सन्धि के फलस्वरूप पेशवा का राज्य अखण्डित रहा। पेशवा के बालक होने के कारण सत्ता पर अधिकार प्राप्त करने के लिए महादजी शिन्दे और नाना फड़नवीस में गहरी प्रतिद्वन्द्विता चली। जिससे मराठों की शक्ति क्षीण हो गई। 1794 ई. में महादजी शिन्दे की मृत्यु होने पर यह आपसी प्रतिद्वन्द्विता समाप्त हुई। अगले साल (1794 ई.) में मराठों ने खर्डा की लड़ाई में निज़ाम को पराजित किया। परन्तु तरुण पेशवा माधवराव नारायण नाना फड़नवीस की कड़ी निगरानी में रहने के कारण ज़िन्दगी से ऊब गया था और 1795 ई. में उसने आत्महत्या कर ली।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
(पुस्तक 'भारतीय इतिहास कोश') पृष्ठ संख्या-358