तालीकोटा: Difference between revisions

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विजेताओं ने विजयनगर पहुँचकर, पाँच महीने तक वहाँ घेरा डालकर, इस ढंग से हत्याकाण्ड, लूट, विनाश एवं अत्याचार का सिलसिला चलाया कि विजयनगर, जिसकी सुन्दरता एवं समृद्धि की प्रशंसा सभी विदेशी यात्रियों एवं भारतीय इतिहासकारों ने की है, इस प्रकार नष्ट-भ्रष्ट हो गया कि उसका पुनर्निर्माण असम्भव हो गया। लाखों व्यक्ति मार डाले गये और असंख्य नर-नारी दासता की बेड़ियों में जकड़े गये।  
विजेताओं ने विजयनगर पहुँचकर, पाँच महीने तक वहाँ घेरा डालकर, इस ढंग से हत्याकाण्ड, लूट, विनाश एवं अत्याचार का सिलसिला चलाया कि विजयनगर, जिसकी सुन्दरता एवं समृद्धि की प्रशंसा सभी विदेशी यात्रियों एवं भारतीय इतिहासकारों ने की है, इस प्रकार नष्ट-भ्रष्ट हो गया कि उसका पुनर्निर्माण असम्भव हो गया। लाखों व्यक्ति मार डाले गये और असंख्य नर-नारी दासता की बेड़ियों में जकड़े गये।  
==विनाश==
==विनाश==
''संसार के इतिहास में, एक भव्य का ऐसा विनाश इतने अकस्मात रूप से स्यात् कभी न हुआ। वह नगर जो एक दिन धन-सम्पन्न एवं व्यवसाय संलग्न् जनता से भरा हुआ था, वैभव के बाहुल्य से पूर्ण था, वही पूरे दिन आक्रांत, घर्षित और ध्वस्त होकर वर्णनातीत बर्बर नर-संहार एवं पैशाचिक कृत्यों का क्रीड़ा-स्थल बना हुआ था।''
संसार के इतिहास में, एक भव्य का ऐसा विनाश इतने अकस्मात रूप से स्यात् कभी न हुआ। वह नगर जो एक दिन धन-सम्पन्न एवं व्यवसाय संलग्न् जनता से भरा हुआ था, वैभव के बाहुल्य से पूर्ण था, वही पूरे दिन आक्रांत, घर्षित और ध्वस्त होकर वर्णनातीत बर्बर नर-संहार एवं पैशाचिक कृत्यों का क्रीड़ा-स्थल बना हुआ था।


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Revision as of 05:20, 12 February 2011

मैसूर के समीप कृष्णा नदी के तट पर स्थित तालीकोटा नगर इतिहास में इसलिये प्रसिद्ध हुआ, क्योंकि यहाँ 1565 ई. में हुए एक भीषण युद्ध ने एक बहुत ही सम्पन्न साम्राज्य को नेस्तनाबूद कर दिया, वह साम्राज्य था।

इतिहास

विजयनगर साम्राज्य रामराजा, जो विजयनगर की सेना का नेतृत्व कर रहा था तथा अहमदनगर, बीजापुर और गोलगुण्डा की मुस्लिम सेनाओं के बीच 23 जनवरी,1565 ई.

को घमासान युद्ध हुआ। रामराजा परास्त होकर वीरगति को प्राप्त हुआ। यह पराजय मुस्लिम सेनाओं द्वारा शीघ्र ही होने वाले विनाश के ताण्डव की तुलना में कुछ भी न थी। वस्तुतः यह मात्र पराजय न थी बल्कि प्रलय थी।

विशाल सेनाएँ

इस युद्ध में विजयनगर एवं दक्षिण की संयुक्त मुस्लिम सेना में, सैनिकों की संख्या कितनी-कितनी थी, यह साक्ष्यों के अभाव में विश्वनीय रूप से नहीं कहा जा सकता है; किंतु यह निश्चित रूप से कहा जा सकता है कि दक्षिण के मैदानों में, इससे पूर्व इतनी विशाल सेनाएँ समरभूमि में नही उतरी थीं।

अत्याचार

विजेताओं ने विजयनगर पहुँचकर, पाँच महीने तक वहाँ घेरा डालकर, इस ढंग से हत्याकाण्ड, लूट, विनाश एवं अत्याचार का सिलसिला चलाया कि विजयनगर, जिसकी सुन्दरता एवं समृद्धि की प्रशंसा सभी विदेशी यात्रियों एवं भारतीय इतिहासकारों ने की है, इस प्रकार नष्ट-भ्रष्ट हो गया कि उसका पुनर्निर्माण असम्भव हो गया। लाखों व्यक्ति मार डाले गये और असंख्य नर-नारी दासता की बेड़ियों में जकड़े गये।

विनाश

संसार के इतिहास में, एक भव्य का ऐसा विनाश इतने अकस्मात रूप से स्यात् कभी न हुआ। वह नगर जो एक दिन धन-सम्पन्न एवं व्यवसाय संलग्न् जनता से भरा हुआ था, वैभव के बाहुल्य से पूर्ण था, वही पूरे दिन आक्रांत, घर्षित और ध्वस्त होकर वर्णनातीत बर्बर नर-संहार एवं पैशाचिक कृत्यों का क्रीड़ा-स्थल बना हुआ था।


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