प्रकर्ष: Difference between revisions
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Revision as of 09:58, 21 March 2011
हिन्दी | उत्तमता, बल, अधिकता, खींचने की क्रिया, विस्तार, विशेषता, उत्कर्ष। |
-व्याकरण | पुल्लिंग |
-उदाहरण | काव्यशास्त्र में घटनाओं, भावों आदि के पराकाष्ठा तक क्रमिक उत्थान को प्रकर्ष कहते हैं। |
-विशेष | सर्वोंपरिता- वपुः प्रकर्षादजयद्-गुरुं रघुः-[1] |
-विलोम | |
-पर्यायवाची | उन्नति, अभ्युत्थान, अभ्युदय, उत्कर्ष, उत्थान, उदय, उद्धार, उभार, चढ़न, तरक्की, निखार, प्रगति, बढ़ती, बढ़ोतरी, बेहतरी, लक्ष्मी, विकास, वृद्धि, श्री, संवद्धि, समुद्धार, समृद्धि, सुधार |
संस्कृत | [प्र+कृष्+घञ्] श्रेष्ठता, प्रमुखता, वर्ण प्रकर्षे सति-[2], तीव्रता, प्रबलता, आधिक्य-प्रकर्षगतेन शोकसंतानेन- [3], सामर्थ्य, शक्ति, निरपेक्षता, लम्बाई, विस्तार, प्रकर्षेण प्रकर्षात् क्रिया विशेषण के रूप में प्रयुक्त होकर ’अत्यंत’ ‘अधिकता के साथ’, या ‘उत्कृष्टता के साथ’ अर्थ प्रकट करते हैं।) |
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