ब्रह्मपुर: Difference between revisions
Jump to navigation
Jump to search
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
('{{tocright}} ब्रह्मगिरि मैसूर राज्य के चितलदुर्ग जनपद में...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
No edit summary |
||
Line 1: | Line 1: | ||
*[[पंजाब]] में स्थित ब्रह्मपुर [[चंबा]] राज्य की प्राचीन राजधानी थी। | |||
*यहाँ पर तीन प्राचीन मंदिर हैं, जिनमें सबसे बड़ा प्रस्तर निर्मित [[शिव]] के अवतार मणिमहेश को, दूसरा प्रस्तर निर्मित मंदिर [[विष्णु]] के [[नरसिंह अवतार|नरसिंहवतार]] को और तीसरा जो अधिकांशतः काष्ठ निर्मित है, लक्ष्मणादेवी को समर्पित है। | |||
*[[कनिंघम]] के मतानुसार ब्रह्मपुर विराटपत्तन का एक अन्य नाम था। | |||
*यहाँ की जलवायु थोड़ी ठंडी बतलायी जाती है और बैराठ की स्थिति से भी मेल खाती है। | |||
*[[युवानच्वांग]] ने ब्रह्मपुर की परिधि 667 मील बतलायी है। | |||
*इसमें [[अलकनन्दा नदी|अलकनन्दा]] एवं कर्नाली [[नदिया|नदियों]] के मध्य का सम्पूर्ण पहाड़ी प्रदेश सम्मिलित रहा होगा। | |||
*ब्रह्मपुर को '''पो- लो- लिह -मो- पु- लो''' भी कहा गया है। | |||
*कनिंघम के मतानुसार ब्रह्मपुर गढ़वाल और कुमाऊँ ज़िलों में स्थित था। | |||
*इन ज़िलों में कतुर या कतुरिया राजा शासन करते थे, जो [[समुद्रगुप्त]] के [[प्रयाग]] - प्रशस्त के कर्तृपुर से सम्बन्धित थे। | |||
Revision as of 09:31, 22 February 2011
- पंजाब में स्थित ब्रह्मपुर चंबा राज्य की प्राचीन राजधानी थी।
- यहाँ पर तीन प्राचीन मंदिर हैं, जिनमें सबसे बड़ा प्रस्तर निर्मित शिव के अवतार मणिमहेश को, दूसरा प्रस्तर निर्मित मंदिर विष्णु के नरसिंहवतार को और तीसरा जो अधिकांशतः काष्ठ निर्मित है, लक्ष्मणादेवी को समर्पित है।
- कनिंघम के मतानुसार ब्रह्मपुर विराटपत्तन का एक अन्य नाम था।
- यहाँ की जलवायु थोड़ी ठंडी बतलायी जाती है और बैराठ की स्थिति से भी मेल खाती है।
- युवानच्वांग ने ब्रह्मपुर की परिधि 667 मील बतलायी है।
- इसमें अलकनन्दा एवं कर्नाली नदियों के मध्य का सम्पूर्ण पहाड़ी प्रदेश सम्मिलित रहा होगा।
- ब्रह्मपुर को पो- लो- लिह -मो- पु- लो भी कहा गया है।
- कनिंघम के मतानुसार ब्रह्मपुर गढ़वाल और कुमाऊँ ज़िलों में स्थित था।
- इन ज़िलों में कतुर या कतुरिया राजा शासन करते थे, जो समुद्रगुप्त के प्रयाग - प्रशस्त के कर्तृपुर से सम्बन्धित थे।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ