मध्यदेश: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
m (Text replace - "==टीका टिप्पणी और संदर्भ==" to "{{संदर्भ ग्रंथ}} ==टीका टिप्पणी और संदर्भ==")
m (Text replace - ")</ref" to "</ref")
Line 1: Line 1:
*मनुस्मृति<ref>मनुस्मृति (2.21)</ref> के अनुसार मध्यदेश (बीच के देश) की सीमा उत्तर में [[हिमालय]], दक्षिण में [[विन्ध्याचल पर्वत|विन्ध्याचल]], पश्चिम में विनशन ([[राजस्थान]] की मरुभूमि में सरस्वती के लुप्त होने का स्थान) तथा पूर्व में [[गंगा]]- [[यमुना]] के संगम स्थल प्रयाग तक विस्तृत है।  
*मनुस्मृति<ref>मनुस्मृति (2.21</ref> के अनुसार मध्यदेश (बीच के देश) की सीमा उत्तर में [[हिमालय]], दक्षिण में [[विन्ध्याचल पर्वत|विन्ध्याचल]], पश्चिम में विनशन ([[राजस्थान]] की मरुभूमि में सरस्वती के लुप्त होने का स्थान) तथा पूर्व में [[गंगा]]- [[यमुना]] के संगम स्थल प्रयाग तक विस्तृत है।  
*वास्तव में यह मध्यदेश आर्यावर्त का मध्य भाग है।  
*वास्तव में यह मध्यदेश आर्यावर्त का मध्य भाग है।  
*'मध्यदेश' शब्द वैदिक संहिताओं में नहीं मिलता है, परन्तु [[ऐतरेय ब्राह्मण]] में इसकी झलक मिलती है।  
*'मध्यदेश' शब्द वैदिक संहिताओं में नहीं मिलता है, परन्तु [[ऐतरेय ब्राह्मण]] में इसकी झलक मिलती है।  

Revision as of 12:42, 27 July 2011

  • मनुस्मृति[1] के अनुसार मध्यदेश (बीच के देश) की सीमा उत्तर में हिमालय, दक्षिण में विन्ध्याचल, पश्चिम में विनशन (राजस्थान की मरुभूमि में सरस्वती के लुप्त होने का स्थान) तथा पूर्व में गंगा- यमुना के संगम स्थल प्रयाग तक विस्तृत है।
  • वास्तव में यह मध्यदेश आर्यावर्त का मध्य भाग है।
  • 'मध्यदेश' शब्द वैदिक संहिताओं में नहीं मिलता है, परन्तु ऐतरेय ब्राह्मण में इसकी झलक मिलती है।
  • इसमें कुरु, पंचाल, वत्स तथा उशीनगर देश के लोग बसते थे।
  • आगे चलकर अन्तिम दो वंशों का लोप हो गया और मध्यदेश मुख्यत: कुरु-पचांलों का देश बन गया।
  • बौद्ध साहित्य के अनुसार मध्यदेश पश्चिम में स्थूण (थानेश्वर) से लेकर पूर्व में जंगल (राजमहल की पहाड़ियों) तक विस्तृत था।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. मनुस्मृति (2.21