अतीश दीपांकर श्रीज्ञान: Difference between revisions
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Revision as of 07:23, 7 April 2011
- अतीश दीपांकर श्रीज्ञान 834 से 838 ई. तक तत्कालीन विक्रमशिला विश्वविद्यालय, भागलपुर के उपकुलपति थे।
- बौद्ध धर्म की ब्रजयान शाखा (तांत्रिक महायान) के वे महान दार्शनिक थे। जिसका विकास विक्रमशिला विश्वविद्यालय में ही हुआ था।
- उसके बाद ब्रजयान दर्शन को उन्होंने तिब्बत में भी फैलाया। तिब्बत में प्रचलित लामा प्रणाली मूल रूप से इसी ब्रजयान दर्शन का विकसित रूप है। जिसे अतीश अपने साथ तिब्बत ले गए।
- उन्हें तिब्बत में मंजुश्री का अवतार माना जाता है तथा बुद्ध और पद्मसम्भव के बाद सबसे अधिक सम्मानित माना जाता है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ