प्रयोग:लक्ष्मी1: Difference between revisions
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||[[चित्र:Bhagwan-Shiv-1.jpg|शिव, पार्वती, गणेश और कार्तिकेय|100px|right]] पार्वती, पर्वतराज [[हिमालय]] और मेना की कन्या हैं। मैना और हिमवान ने आदिशक्ति के वरदान से आदिशक्ति को कन्या के रूप में प्राप्त किया। उसका नाम पार्वती रखा गया। वह भूतपूर्व [[सती]] तथा आदिशक्ति थी। इन्हीं को [[उमा]], गिरिजा और शिवा भी कहते हैं।{{point}} अधिक जानकारी देखें:-[[पार्वती|पार्वती देवी]] | ||[[चित्र:Bhagwan-Shiv-1.jpg|शिव, पार्वती, गणेश और कार्तिकेय|100px|right]] पार्वती, [[पर्वतराज]] [[हिमालय]] और मेना की कन्या हैं। मैना और हिमवान ने आदिशक्ति के वरदान से आदिशक्ति को कन्या के रूप में प्राप्त किया। उसका नाम पार्वती रखा गया। वह भूतपूर्व [[सती]] तथा आदिशक्ति थी। इन्हीं को [[उमा]], गिरिजा और शिवा भी कहते हैं।{{point}} अधिक जानकारी देखें:-[[पार्वती|पार्वती देवी]] | ||
{निम्नलिखित में कौन हिन्दुस्तानी ताल नहीं है? | {निम्नलिखित में कौन हिन्दुस्तानी ताल नहीं है? | ||
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-[[फ़ारसी भाषा]] | -[[फ़ारसी भाषा]] | ||
+[[ब्रज भाषा]] | +[[ब्रज भाषा]] | ||
||ब्रजभाषा मूलत: ब्रजक्षेत्र की बोली है। विक्रम की 13वीं शताब्दी से लेकर 20वीं शताब्दी तक [[भारत]] में साहित्यिक भाषा रहने के कारण ब्रज की इस जनपदीय बोली ने अपने विकास के साथ भाषा नाम प्राप्त किया और ब्रजभाषा नाम से जानी जाने लगी। शुद्ध रूप में यह आज भी [[मथुरा]], [[आगरा]], [[धौलपुर]], [[अलीगढ़]] ज़िलों में बोली जाती है।{{point}} अधिक जानकारी देखें:-[[ब्रज भाषा]] | ||[[चित्र:Raskhan-2.jpg|रसखान के दोहे|100px|right]] ब्रजभाषा मूलत: ब्रजक्षेत्र की बोली है। विक्रम की 13वीं शताब्दी से लेकर 20वीं शताब्दी तक [[भारत]] में साहित्यिक भाषा रहने के कारण ब्रज की इस जनपदीय बोली ने अपने विकास के साथ भाषा नाम प्राप्त किया और ब्रजभाषा नाम से जानी जाने लगी। शुद्ध रूप में यह आज भी [[मथुरा]], [[आगरा]], [[धौलपुर]], [[अलीगढ़]] ज़िलों में बोली जाती है।{{point}} अधिक जानकारी देखें:-[[ब्रज भाषा]] | ||
{'धमार ताल' कितने मात्रा का होता है? | {'धमार ताल' कितने मात्रा का होता है? |