चन्द्रनाथ शर्मा: Difference between revisions
Jump to navigation
Jump to search
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
No edit summary |
व्यवस्थापन (talk | contribs) m (Text replace - "1857" to "1857") |
||
Line 5: | Line 5: | ||
*चन्द्रनाथ में संगठन की बड़ी क्षमता थी। चन्द्रनाथ के प्रयत्न से राजनीतिक जागृति और समाज-सुधार के अनेक संगठन बने, जिनमें '''असम एसोसियेशन''' प्रमुख था। इसी ने बाद में असम प्रान्तीय कांग्रेस कमेटी का रूप ले लिया। | *चन्द्रनाथ में संगठन की बड़ी क्षमता थी। चन्द्रनाथ के प्रयत्न से राजनीतिक जागृति और समाज-सुधार के अनेक संगठन बने, जिनमें '''असम एसोसियेशन''' प्रमुख था। इसी ने बाद में असम प्रान्तीय कांग्रेस कमेटी का रूप ले लिया। | ||
*चन्द्रनाथ शर्मा ने अपने कुछ साथियों के साथ 1920 ई. के [[कोलकाता]] के कांग्रेस अधिवेशन में भाग लिया। वहाँ से [[गांधीजी]] से प्रेरणा लेकर उन्होंने वकालत छोड़ दी और असम के प्रथम असहयोगी बन गए। | *चन्द्रनाथ शर्मा ने अपने कुछ साथियों के साथ 1920 ई. के [[कोलकाता]] के कांग्रेस अधिवेशन में भाग लिया। वहाँ से [[गांधीजी]] से प्रेरणा लेकर उन्होंने वकालत छोड़ दी और असम के प्रथम असहयोगी बन गए। | ||
*चन्द्रनाथ शर्मा उन आरम्भिक लोगों में से एक थे, जिन्होंने अंग्रेज़ों के प्रचार का खण्डन करते हुए 1920 ई. में ही यह प्रतिपादित कर दिया था कि | *चन्द्रनाथ शर्मा उन आरम्भिक लोगों में से एक थे, जिन्होंने अंग्रेज़ों के प्रचार का खण्डन करते हुए 1920 ई. में ही यह प्रतिपादित कर दिया था कि 1857 ई. का संघर्ष [[भारत का इतिहास#प्रथम स्वतंत्रता संग्राम|भारत का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम]] था। | ||
*[[1921]] की [[अहमदाबाद]] कांग्रेस में भी वे सम्मिलित हुए और गांधीजी को असम आने का निमंत्रण दिया। इसी निमंत्रण पर [[अगस्त]], 1921 में गांधीजी ने असम की यात्रा की थी। इस यात्रा की व्यवस्था का पूरा भार चन्द्रधर शर्मा ने अपने ऊपर लिया। परन्तु उनका शरीर साथ नहीं दे सका। चन्द्रनाथ क्षय रोग के रोगी हो गए और मात्र 33 वर्ष की उम्र में ही [[20 जुलाई]], [[1922]] ई. को उनका देहान्त हो गया। | *[[1921]] की [[अहमदाबाद]] कांग्रेस में भी वे सम्मिलित हुए और गांधीजी को असम आने का निमंत्रण दिया। इसी निमंत्रण पर [[अगस्त]], 1921 में गांधीजी ने असम की यात्रा की थी। इस यात्रा की व्यवस्था का पूरा भार चन्द्रधर शर्मा ने अपने ऊपर लिया। परन्तु उनका शरीर साथ नहीं दे सका। चन्द्रनाथ क्षय रोग के रोगी हो गए और मात्र 33 वर्ष की उम्र में ही [[20 जुलाई]], [[1922]] ई. को उनका देहान्त हो गया। | ||
Revision as of 14:15, 21 July 2011
- चन्द्रनाथ शर्मा (जन्म- 9 दिसम्बर, 1889 ई.; मृत्यु- 20 जुलाई, 1922 ई.) असम राज्य के प्रथम असहयोगी और असम में कांग्रेस के संस्थापकों में से एक थे।
- चन्द्रनाथ शर्मा का जन्म तेजपुर के निकट मेवानार नामक स्थान में 9 दिसम्बर, 1889 ई. में एक निर्धन परिवार में हुआ था।
- छात्रवृत्ति लेकर अध्ययन करते हुए उन्होंने 1918 ई. में गौहाटी से क़ानून की डिग्री ली और कुछ समय तक वहाँ वकालत करने के बाद 1920 ई. में तेजपुर जाकर रहने लगे।
- चन्द्रनाथ ने वकालत में प्रसिद्धि पाई और साथ ही असमी साहित्य में भी योगदान जारी रखा।
- चन्द्रनाथ में संगठन की बड़ी क्षमता थी। चन्द्रनाथ के प्रयत्न से राजनीतिक जागृति और समाज-सुधार के अनेक संगठन बने, जिनमें असम एसोसियेशन प्रमुख था। इसी ने बाद में असम प्रान्तीय कांग्रेस कमेटी का रूप ले लिया।
- चन्द्रनाथ शर्मा ने अपने कुछ साथियों के साथ 1920 ई. के कोलकाता के कांग्रेस अधिवेशन में भाग लिया। वहाँ से गांधीजी से प्रेरणा लेकर उन्होंने वकालत छोड़ दी और असम के प्रथम असहयोगी बन गए।
- चन्द्रनाथ शर्मा उन आरम्भिक लोगों में से एक थे, जिन्होंने अंग्रेज़ों के प्रचार का खण्डन करते हुए 1920 ई. में ही यह प्रतिपादित कर दिया था कि 1857 ई. का संघर्ष भारत का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम था।
- 1921 की अहमदाबाद कांग्रेस में भी वे सम्मिलित हुए और गांधीजी को असम आने का निमंत्रण दिया। इसी निमंत्रण पर अगस्त, 1921 में गांधीजी ने असम की यात्रा की थी। इस यात्रा की व्यवस्था का पूरा भार चन्द्रधर शर्मा ने अपने ऊपर लिया। परन्तु उनका शरीर साथ नहीं दे सका। चन्द्रनाथ क्षय रोग के रोगी हो गए और मात्र 33 वर्ष की उम्र में ही 20 जुलाई, 1922 ई. को उनका देहान्त हो गया।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
लीलाधर, शर्मा भारतीय चरित कोश (हिन्दी)। भारतडिस्कवरी पुस्तकालय: शिक्षा भारती, 264-265।