तैत्तिरीयोपनिषद भृगुवल्ली अनुवाक-4: Difference between revisions
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Revision as of 14:46, 11 September 2011
- तैत्तिरीयोपनिषद के भृगुवल्ली का यह चौथा अनुवाक है।
- REDIRECTसाँचा:मुख्य
- भृगु द्वारा पुन: तपस्या करने पर उन्हें बोध हुआ कि 'मन' ही ब्रह्म है, किन्तु वरुण ऋषि ने उन्हें और तप करने के लिए कहा कि तप से ही 'तत्त्व' को जाना जा सकता है।
- तप ही 'ब्रह्म' है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
संबंधित लेख
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