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|चित्र का नाम= श्राद्ध कर्म में पूजा करते ब्राह्मण
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|अनुयायी =हिन्दू धर्म के सभी लोग  
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|उद्देश्य = श्राद्ध पूर्वजों के प्रति सच्ची श्रद्धा का प्रतीक हैं। पितरों के निमित्त विधिपूर्वक जो कर्म श्रद्धा से किया जाता है उसी को श्राद्ध कहते हैं।।
|उद्देश्य = श्राद्ध पूर्वजों के प्रति सच्ची श्रद्धा का प्रतीक हैं। पितरों के निमित्त विधिपूर्वक जो कर्म श्रद्धा से किया जाता है उसी को श्राद्ध कहते हैं।।
|प्रारम्भ = पौराणिक काल  
|प्रारम्भ = पौराणिक काल  

Revision as of 13:23, 15 September 2011

गोविन्द राम/sandbox1
अनुयायी सभी हिन्दू धर्म के लोग
उद्देश्य श्राद्ध पूर्वजों के प्रति सच्ची श्रद्धा का प्रतीक हैं। पितरों के निमित्त विधिपूर्वक जो कर्म श्रद्धा से किया जाता है उसी को श्राद्ध कहते हैं।।
प्रारम्भ पौराणिक काल
तिथि प्रत्येक वर्ष भाद्रपद महीने में कृष्ण पक्ष की अष्टमी को उनके दिनों का उदय होता है। अमावस्या उनका मध्याह्न है तथा शुक्ल पक्ष की अष्टमी अंतिम दिन होता है।
अनुष्ठान खीर पुरी, इमरती आदि।
धार्मिक मान्यता ब्रह्म पुराण ने श्राद्ध की परिभाषा यों दी है, 'जो कुछ उचित काल, पात्र एवं स्थान के अनुसार उचित (शास्त्रानुमोदित) विधि द्वारा पितरों को लक्ष्य करके श्रद्धापूर्वक ब्राह्मणों को दिया जाता है, वह श्राद्ध कहलाता है।
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