नालन्दा: Difference between revisions

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* जब [[हुएन-सांग|ह्वेनसांग]] [[भारत]] आया था उस समय नालन्दा विश्‍वविद्यालय में 8500 छात्र एवं 1510 अध्यापक थे। इसके प्रख्यात अध्यापकों शीलभद्र ,धर्मपाल, चन्द्रपाल, गुणमति, स्थिरमति, प्रभामित्र, जिनमित्र, दिकनाग, ज्ञानचन्द्र, नागार्जुन, वसुबन्धु, असंग, धर्मकीर्ति आदि थे।
* जब [[हुएन-सांग|ह्वेनसांग]] [[भारत]] आया था उस समय नालन्दा विश्‍वविद्यालय में 8500 छात्र एवं 1510 अध्यापक थे। इसके प्रख्यात अध्यापकों शीलभद्र ,धर्मपाल, चन्द्रपाल, गुणमति, स्थिरमति, प्रभामित्र, जिनमित्र, दिकनाग, ज्ञानचन्द्र, नागार्जुन, वसुबन्धु, असंग, धर्मकीर्ति आदि थे।
* इस विश्‍वविद्यालय में [[पालि भाषा]] में शिक्षण कार्य होता था। 12वीं शती में बख़्तियार ख़िलजी के आक्रमण से यह विश्वविद्यालय नष्ट हो गया था।  
* इस विश्‍वविद्यालय में [[पालि भाषा]] में शिक्षण कार्य होता था। 12वीं शती में बख़्तियार ख़िलजी के आक्रमण से यह विश्वविद्यालय नष्ट हो गया था।  





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[[चित्र:Nalanda-University-Bihar.jpg|thumb|नालंदा विश्‍वविद्यालय, नालंदा
Nalanda University, Nalanda]] भारत में प्राचीनकाल में बिहार जिले में नालन्दा विश्‍वविद्यालय था, जहां देश-विदेश के छात्र शिक्षा के लिए आते थे। आजकल इसके अवशेष दिखलाई देते हैं।

पटना से 90 किमी. दूर और बिहार शरीफ़ से क़रीब 12 किमी. दक्षिण, विश्व प्रसिद्ध प्राचीन बौद्ध विश्वविद्यालय, नालंदा के खण्डहर स्थित हैं। यहाँ 10,000 छात्रों को पढ़ाने के लिए 2,000 शिक्षक थे।

  • प्रसिद्ध चीनी यात्री ह्वेनसांग ने 7वीं शताब्दी में यहाँ जीवन का महत्वपूर्ण एक वर्ष एक विद्यार्थी और एक शिक्षक के रूप में व्यतीत किया था।
  • भगवान बुद्ध ने सम्राट अशोक को यहाँ उपदेश दिया था।
  • भगवान महावीर भी यहीं रहे थे।
  • प्रसिद्ध बौद्ध सारिपुत्र का जन्म यहीं पर हुआ था।

नव नालंदा महाबिहार

बिहार सरकार ने यहाँ नव नालंदा महाबिहार नामक शोध संस्थान की स्थापना की है। जहाँ विश्व के विभिन्न देशों के विद्यार्थी बौद्ध पांडुलिपियों पर शोध करते हैं नालंदा विश्वविद्यालय के पुरावशेष के पास ही एक पुरातात्विक सामग्री से युक्त संग्रहालय है।

प्राचीन नाम उदन्तपुरी

नालंदा ज़िला मुख्यालय, बिहार शरीफ़ में 13वीं से 16वीं शताब्दी के मध्य मुस्लिम संस्कृति अपनी चरम सीमा पर विकसित हुई, जिसका प्राचीन नाम उदन्तपुरी था। बिहार शरीफ़ से 8 किमी. दक्षिण-पूर्व पावापुरी जैनियों का प्रमुख तीर्थस्थल है। जहाँ भगवान महावीर ने परिनिर्वाण प्राप्त किया था। यहाँ कमल तालाब के बीच जल मन्दिर विश्व प्रसिद्ध है। सोमशरण मन्दिर मोक्ष मन्दिर और नया मन्दिर भी दर्शनीय है।

नालन्दा विश्‍वविद्यालय

प्राचीन काल से बिहार शिक्षा का प्रमुख केन्द्र रहा है। -

  • गुप्तकालीन सम्राट कुमारगुप्त प्रथम ने 415-454 ई.पू. नालन्दा विश्‍वविद्यालय की स्थापना की थी।
  • नालन्दा विश्‍वविद्यालय में अध्ययन करने के लिए जावा, चीन, तिब्बत, श्रीलंका व कोरिया आदि के छात्र आते थे।
  • जब ह्वेनसांग भारत आया था उस समय नालन्दा विश्‍वविद्यालय में 8500 छात्र एवं 1510 अध्यापक थे। इसके प्रख्यात अध्यापकों शीलभद्र ,धर्मपाल, चन्द्रपाल, गुणमति, स्थिरमति, प्रभामित्र, जिनमित्र, दिकनाग, ज्ञानचन्द्र, नागार्जुन, वसुबन्धु, असंग, धर्मकीर्ति आदि थे।
  • इस विश्‍वविद्यालय में पालि भाषा में शिक्षण कार्य होता था। 12वीं शती में बख़्तियार ख़िलजी के आक्रमण से यह विश्वविद्यालय नष्ट हो गया था।