अमरनाथ यात्रा: Difference between revisions
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'''अमरनाथ यात्रा''' को [[उत्तर भारत]] की सबसे पवित्र तीर्थयात्रा माना जाता है। यात्रा के दौरान [[भारत]] की विविध परंपराओं, धर्मों और संस्कृतियों की झलक देखी जा सकती है। अमरनाथ यात्रा में [[शिव]] भक्तों को कड़ी कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है। बेशक यह यात्रा थोड़ी कठिन है, लेकिन [[कश्मीर]] के मनोरम प्रकृति नजारों और धार्मिक तथा अध्यात्म का अनोखा पुट इससे जुड़ा है। रास्ते उबड़ - खाबड़ है, रास्ते में कभी बर्फ़ गिरने लग जाती है, कभी बारिश होने लगती है तो कभी बर्फीली हवाएं चलने लगती है। फिर भी भक्तों की आस्था और भक्ति इतनी मज़बूत होती है कि यह सारे कष्ट महसूस नहीं होते और बाबा अमरनाथ के दर्शनों के लिए एक अदृश्य शक्ति से खिंचे चले आते हैं। यह माना जाता है कि अगर तीर्थयात्री इस यात्रा को सच्ची श्रद्धा से पूरा कर तो वह भगवान शिव के साक्षात दर्शन पा सकते हैं। [[जून]] से लेकर [[अगस्त]] [[माह]] तक दर्शनों के लिए लाखों की संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं। | '''अमरनाथ यात्रा''' को [[उत्तर भारत]] की सबसे पवित्र तीर्थयात्रा माना जाता है। यात्रा के दौरान [[भारत]] की विविध परंपराओं, [[धर्म|धर्मों]] और [[संस्कृति|संस्कृतियों]] की झलक देखी जा सकती है। अमरनाथ यात्रा में [[शिव]] भक्तों को कड़ी कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है। बेशक यह यात्रा थोड़ी कठिन है, लेकिन [[कश्मीर]] के मनोरम प्रकृति नजारों और धार्मिक तथा अध्यात्म का अनोखा पुट इससे जुड़ा है। रास्ते उबड़ - खाबड़ है, रास्ते में कभी बर्फ़ गिरने लग जाती है, कभी बारिश होने लगती है तो कभी बर्फीली हवाएं चलने लगती है। फिर भी भक्तों की आस्था और भक्ति इतनी मज़बूत होती है कि यह सारे कष्ट महसूस नहीं होते और बाबा अमरनाथ के दर्शनों के लिए एक अदृश्य शक्ति से खिंचे चले आते हैं। यह माना जाता है कि अगर तीर्थयात्री इस यात्रा को सच्ची श्रद्धा से पूरा कर तो वह भगवान शिव के साक्षात दर्शन पा सकते हैं। [[जून]] से लेकर [[अगस्त]] [[माह]] तक दर्शनों के लिए लाखों की संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं। | ||
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देश के सभी कोनों से तीर्थयात्री रेल, बस या हवाई जहाज़ के जरिए आसानी से [[जम्मू]] पहुंच सकते हैं। श्रद्धालुओं की तीर्थयात्रा जम्मू से शुरू होती है। अमरनाथ यात्रा पर जाने के भी दो रास्ते हैं। एक [[पहलगाम]] होकर और दूसरा सोनमर्ग बलटाल से। यानी कि पहलगाम और बलटाल तक किसी भी सवारी से पहुंचे, यहां से आगे जाने के लिए अपने पैरों का ही इस्तेमाल करना होगा। अशक्त या वृद्धों के लिए सवारियों का प्रबंध किया जा सकता है। हालांकि पवित्र गुफा सिंध घाटी में [[सिंध नदी]] की एक सहायक नदी अमरनाथ (अमरावती) के पास स्थित है तथापि इस तक परम्परागत रूप से बरास्ता लिदर घाटी पहुंचा जाता है। श्रद्धालु इस मार्ग पर दक्षिण कश्मीर में पहलगांव से होकर पवित्र गुफा पहुंचते हैं और चंदनवाड़ी, पिस्सू घाटी, शेषनाग और पंचतरणी से गुजरते हुए लगभग 46 किलोमीटर की यात्रा करते हैं। पहलगाम से जाने वाले रास्ते को सरल और सुविधाजनक समझा जाता है। एक और छोटा रास्ता [[श्रीनगर]] - [[लेह]] राजमार्ग पर स्थित बालताल से है। बालताल से अमरनाथ गुफा की दूरी केवल 14 किलोमीटर है और यह बहुत ही दुर्गम रास्ता है और सुरक्षा की दृष्टि से भी संदिग्ध है। इसमें कुछ क्षेत्र सीधी चढ़ाई और गहरी ढलान वाले हैं। इसीलिए सरकार इस मार्ग को सुरक्षित नहीं मानती और अधिकतर यात्रियों को पहलगाम के रास्ते [[अमरनाथ]] जाने के लिए प्रेरित करती है। लेकिन रोमांच और जोखिम लेने का शौक़ रखने वाले लोग इस मार्ग से यात्रा करना पसंद करते हैं। अतीत में यह मार्ग ग्रीष्म ऋतु की शुरुआत में प्रयोग में आता था लेकिन कभी - कभी बर्फ़ के पिघलने के कारण इस मार्ग का प्रयोग असंभव हो जाता था। लेकिन समय के बीतने के साथ परिस्थितियों में सुधार हुआ है और दोनों ही मार्गों पर यात्रा काफ़ी आसान हो गई है। | देश के सभी कोनों से तीर्थयात्री रेल, बस या हवाई जहाज़ के जरिए आसानी से [[जम्मू]] पहुंच सकते हैं। श्रद्धालुओं की तीर्थयात्रा जम्मू से शुरू होती है। अमरनाथ यात्रा पर जाने के भी दो रास्ते हैं। एक [[पहलगाम]] होकर और दूसरा सोनमर्ग बलटाल से। यानी कि पहलगाम और बलटाल तक किसी भी सवारी से पहुंचे, यहां से आगे जाने के लिए अपने पैरों का ही इस्तेमाल करना होगा। अशक्त या वृद्धों के लिए सवारियों का प्रबंध किया जा सकता है। हालांकि पवित्र गुफा सिंध घाटी में [[सिंध नदी]] की एक सहायक नदी अमरनाथ (अमरावती) के पास स्थित है तथापि इस तक परम्परागत रूप से बरास्ता लिदर घाटी पहुंचा जाता है। श्रद्धालु इस मार्ग पर दक्षिण कश्मीर में पहलगांव से होकर पवित्र गुफा पहुंचते हैं और चंदनवाड़ी, पिस्सू घाटी, शेषनाग और पंचतरणी से गुजरते हुए लगभग 46 किलोमीटर की यात्रा करते हैं। पहलगाम से जाने वाले रास्ते को सरल और सुविधाजनक समझा जाता है। एक और छोटा रास्ता [[श्रीनगर]] - [[लेह]] राजमार्ग पर स्थित बालताल से है। बालताल से अमरनाथ गुफा की दूरी केवल 14 किलोमीटर है और यह बहुत ही दुर्गम रास्ता है और सुरक्षा की दृष्टि से भी संदिग्ध है। इसमें कुछ क्षेत्र सीधी चढ़ाई और गहरी ढलान वाले हैं। इसीलिए सरकार इस मार्ग को सुरक्षित नहीं मानती और अधिकतर यात्रियों को पहलगाम के रास्ते [[अमरनाथ]] जाने के लिए प्रेरित करती है। लेकिन रोमांच और जोखिम लेने का शौक़ रखने वाले लोग इस मार्ग से यात्रा करना पसंद करते हैं। अतीत में यह मार्ग ग्रीष्म ऋतु की शुरुआत में प्रयोग में आता था लेकिन कभी - कभी बर्फ़ के पिघलने के कारण इस मार्ग का प्रयोग असंभव हो जाता था। लेकिन समय के बीतने के साथ परिस्थितियों में सुधार हुआ है और दोनों ही मार्गों पर यात्रा काफ़ी आसान हो गई है। | ||
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अमरनाथ यात्रा का मानचित्र|thumb|300px अमरनाथ यात्रा को उत्तर भारत की सबसे पवित्र तीर्थयात्रा माना जाता है। यात्रा के दौरान भारत की विविध परंपराओं, धर्मों और संस्कृतियों की झलक देखी जा सकती है। अमरनाथ यात्रा में शिव भक्तों को कड़ी कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है। बेशक यह यात्रा थोड़ी कठिन है, लेकिन कश्मीर के मनोरम प्रकृति नजारों और धार्मिक तथा अध्यात्म का अनोखा पुट इससे जुड़ा है। रास्ते उबड़ - खाबड़ है, रास्ते में कभी बर्फ़ गिरने लग जाती है, कभी बारिश होने लगती है तो कभी बर्फीली हवाएं चलने लगती है। फिर भी भक्तों की आस्था और भक्ति इतनी मज़बूत होती है कि यह सारे कष्ट महसूस नहीं होते और बाबा अमरनाथ के दर्शनों के लिए एक अदृश्य शक्ति से खिंचे चले आते हैं। यह माना जाता है कि अगर तीर्थयात्री इस यात्रा को सच्ची श्रद्धा से पूरा कर तो वह भगवान शिव के साक्षात दर्शन पा सकते हैं। जून से लेकर अगस्त माह तक दर्शनों के लिए लाखों की संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं।
यातायात
अमरनाथ जाने का रास्ता|thumb|300px देश के सभी कोनों से तीर्थयात्री रेल, बस या हवाई जहाज़ के जरिए आसानी से जम्मू पहुंच सकते हैं। श्रद्धालुओं की तीर्थयात्रा जम्मू से शुरू होती है। अमरनाथ यात्रा पर जाने के भी दो रास्ते हैं। एक पहलगाम होकर और दूसरा सोनमर्ग बलटाल से। यानी कि पहलगाम और बलटाल तक किसी भी सवारी से पहुंचे, यहां से आगे जाने के लिए अपने पैरों का ही इस्तेमाल करना होगा। अशक्त या वृद्धों के लिए सवारियों का प्रबंध किया जा सकता है। हालांकि पवित्र गुफा सिंध घाटी में सिंध नदी की एक सहायक नदी अमरनाथ (अमरावती) के पास स्थित है तथापि इस तक परम्परागत रूप से बरास्ता लिदर घाटी पहुंचा जाता है। श्रद्धालु इस मार्ग पर दक्षिण कश्मीर में पहलगांव से होकर पवित्र गुफा पहुंचते हैं और चंदनवाड़ी, पिस्सू घाटी, शेषनाग और पंचतरणी से गुजरते हुए लगभग 46 किलोमीटर की यात्रा करते हैं। पहलगाम से जाने वाले रास्ते को सरल और सुविधाजनक समझा जाता है। एक और छोटा रास्ता श्रीनगर - लेह राजमार्ग पर स्थित बालताल से है। बालताल से अमरनाथ गुफा की दूरी केवल 14 किलोमीटर है और यह बहुत ही दुर्गम रास्ता है और सुरक्षा की दृष्टि से भी संदिग्ध है। इसमें कुछ क्षेत्र सीधी चढ़ाई और गहरी ढलान वाले हैं। इसीलिए सरकार इस मार्ग को सुरक्षित नहीं मानती और अधिकतर यात्रियों को पहलगाम के रास्ते अमरनाथ जाने के लिए प्रेरित करती है। लेकिन रोमांच और जोखिम लेने का शौक़ रखने वाले लोग इस मार्ग से यात्रा करना पसंद करते हैं। अतीत में यह मार्ग ग्रीष्म ऋतु की शुरुआत में प्रयोग में आता था लेकिन कभी - कभी बर्फ़ के पिघलने के कारण इस मार्ग का प्रयोग असंभव हो जाता था। लेकिन समय के बीतने के साथ परिस्थितियों में सुधार हुआ है और दोनों ही मार्गों पर यात्रा काफ़ी आसान हो गई है।
- REDIRECTसाँचा:इन्हें भी देखें
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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