सदाकत आश्रम पटना: Difference between revisions
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'''सदाकत आश्रम''' की स्थापना [[पटना]] ([[बिहार]]) में मौलाना मजरूल हक ने [[असहयोग आन्दोलन]] के दौरान की थी। 'सदाकत' एक [[अरबी भाषा|अरबी]] शब्द है, जिसका अर्थ होता है 'सत्य और आश्रम'। यह वह स्थान या केन्द्र होता है, जहाँ से लोगों को सहायता दी जाती है। | '''सदाकत आश्रम''' की स्थापना [[पटना]] ([[बिहार]]) में मौलाना मजरूल हक ने [[असहयोग आन्दोलन]] के दौरान की थी। 'सदाकत' एक [[अरबी भाषा|अरबी]] शब्द है, जिसका अर्थ होता है 'सत्य और आश्रम'। यह वह स्थान या केन्द्र होता है, जहाँ से लोगों को सहायता दी जाती है। [[भारत]] के प्रथम [[राष्ट्रपति]] [[डॉ. राजेन्द्र प्रसाद]] ने [[28 फ़रवरी]], [[1963]] को इसी आश्रम में अंतिम साँसें ली थीं। | ||
*इस आश्रम की स्थापना में हक साहब ने 'बिहार स्कूल आँफ इन्जीनियरिग' के उन छात्रों का सहयोग प्राप्त किया था, जिन्होंने असहयोग आन्दोलन के क्रम में अपने संस्थान को छोड दिया था। | *इस आश्रम की स्थापना में हक साहब ने 'बिहार स्कूल आँफ इन्जीनियरिग' के उन छात्रों का सहयोग प्राप्त किया था, जिन्होंने असहयोग आन्दोलन के क्रम में अपने संस्थान को छोड दिया था। |
Revision as of 11:54, 13 September 2012
सदाकत आश्रम की स्थापना पटना (बिहार) में मौलाना मजरूल हक ने असहयोग आन्दोलन के दौरान की थी। 'सदाकत' एक अरबी शब्द है, जिसका अर्थ होता है 'सत्य और आश्रम'। यह वह स्थान या केन्द्र होता है, जहाँ से लोगों को सहायता दी जाती है। भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने 28 फ़रवरी, 1963 को इसी आश्रम में अंतिम साँसें ली थीं।
- इस आश्रम की स्थापना में हक साहब ने 'बिहार स्कूल आँफ इन्जीनियरिग' के उन छात्रों का सहयोग प्राप्त किया था, जिन्होंने असहयोग आन्दोलन के क्रम में अपने संस्थान को छोड दिया था।
- सदाकत आश्रम मात्र एक आध्यात्मिक विश्वविधालय ही नही था, वरन् एक राष्ट्रीय केन्द्र और राष्ट्रीय आन्दोलन में बिहार का मुख्यालय रहा था।
- आज़ादी की लड़ाई और विभिन्न कार्यक्रमों के सम्बन्ध में विचार विमर्श आदि इसी सदाकत आश्रम में होते थे और उन पर निर्णय लिए जाते थे।
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