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भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
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http://news.google.com/newspapers?id=HHgbAAAAIBAJ&sjid=E00EAAAAIBAJ&dq=independence%20india&pg=4776%2C4839970 (15 Aug 1947)
http://news.google.com/newspapers?id=HHgbAAAAIBAJ&sjid=E00EAAAAIBAJ&dq=independence%20india&pg=4776%2C4839970 (15 Aug 1947)
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भारत

विदेश नीति

पंडित नेहरू ने 1951 ई॰ में भारत को नियोजित अर्थ-व्यवस्था तथा औद्योगीकरण के मार्ग पर आगे बढ़ाने के लिए 2,069 करोड़ रुपये की प्रथम पंचवर्षीय योजना प्रस्तुत की। भारत ने बालिग मताधिकार स्वीकार कर लिया और उसके आधार पर उसका पहला आम चुनाव शान्तिपूर्ण सम्पन्न हुआ। 1953 ई॰ में भाषावार आधार पर आंध्र को मद्रास से अलग करके नया राज्य बना दिया गया। इसी आधार पर पूर्वी पंजाब को पंजाब तथा हरियाणा दो राज्यों में विभाजित कर दिया गया। जून 1954 ई॰ में चीन के प्रधानमंत्री चाऊ एन लाई भारत की यात्रा पर आये। अगले अक्टूबर में पंडित जवाहर लाल नेहरू ने चीन की यात्रा की। पंचशील के समझौते पर हस्ताक्षर होने से भारत और चीन के मैत्रीपूर्ण सम्बन्ध अपनी पराकाष्ठा पर पहुँच गये। 1955 ई॰ में भारत ने अप्रैल में होने वाले बांदुग सम्मेलन में प्रमुख भूमिका अदा करके अंतरराष्ट्रीय राजनीति में अपना प्रभाव बढ़ाया। जून में पंडित नेहरू ने सोवियत संघ की यात्रा की, जहाँ उनका बहुत उत्साह के साथ स्वागत किया गया। नवम्बर में सोवियत नेताओं, खुश्चेव तथा बुल्गानिन ने भारत की यात्रा की और उनका जनता के द्वारा अपूर्व स्वागत किया गया।

द्वितीय पंचवर्षीय योजना

1956 ई॰ में भारत ने 4800 करोड़ रुपये की अपनी द्वितीय पंचवर्षीय योजना आरम्भ की। उसने बर्मा (म्यांमार), श्रीलंका तथा इंडोनेशिया के साथ मिलकर ब्रिटिश फ़ौजों को मिस्र से हटा लेने की माँग की। जहाँ प्रसीडेंट नासिर ने स्वेज़ नहर का राष्ट्रीयकरण कर दिया था। अंतराष्ट्रीय राजनीति में भारत की प्रतिष्ठा उस समय उच्च शिखर पर थी। 1957 ई॰ में बालिग मताधिकार के आधार पर भारतीय गणराज्य का दूसरा आम चुनाव हुआ। पंडित नेहरू के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी को पुनः केन्द्र में तथा केरल को छोड़कर अन्य सभी राज्यों से बहुमत प्राप्त हो गया। केरल में कम्यूनिस्टों के नेतृत्व में मंत्रिमंडल गठित हुआ, परन्तु पंडित नेहरू के नेतृत्व में केन्द्र ने उस पर अपना नियंत्रण बनाये रखा। 1958 ई॰ में इंडियन रिफ़ाइनरीज़ लि॰ की स्थापना के साथ भारत ने बड़े अद्योगों के क्षेत्र में कदम बढ़ाये। उसने विज्ञान के क्षेत्र में भी प्रगति की ओर प्रथम पारमाणविक भट्ठी निर्मित की। परन्तु भारत ने परमाणविक बम बनाने से इंकार कर दिया और परमाणु शक्ति का केवल शान्तिपूर्ण कार्यों में प्रयोग करने के अपने निश्चय की घोषणा की।

चीन से युद्ध 1962

1959 ई॰ में चीन ने तिब्बत पर हमला किया और पंडित नेहरू की सरकार मौन दर्शक बनी रही। दलाई लामा तथा हज़ारों तिब्बियों ने भाग कर भारत में शरण ली और पंडित नेहरू की सरकार ने उन्हें तत्परता से शरण प्रदान की। चीन ने इस अमित्रतापूर्वक कार्य माना और 1955 ई॰ में उत्तर-पूर्वी सीमा क्षेत्र में लांगजू पर तथा हिमालय क्षेत्र के लद्दाख़ प्रदेश में भारतीय क्षेत्रों पर बल पूर्वक अधिकार करके भारत के प्रति अपने आक्रामण रवैय को उजागर कर दिया। तीन साल बाद चीन ने भारत के उत्तरी तथा पूर्वी सीमा क्षेत्रों पर बड़ा हमला बोल दिया। भारतीय सेना मित्र माने जाने वाले देश के इस हमले के लिए तैयार नहीं थी, फिर भी उत्तर में उसने अपने पैर मज़बूती से जमाये रखे, परन्तु उत्तर-पूर्वी मोर्चे पर वह बहुत थोड़ा अथवा नगण्य प्रतिरोध कर सकी और चीनी फ़ौजें आसाम की सीमा के निकट पहुँच गयीं। इससे भारत को बहुत अपमानित होना पड़ा। जब चीन ने 1962 ई॰ में एकांगी युद्धविराम की घोषणा कर दी, लड़ाई रोक दी और भारत के जिन क्षेत्रों को वह लेना चाहता था, उनको अपने अधिकार में रखा। इससे पंडित नेहरू, जो 1950 ई॰ से चीन के प्रति मैत्रीपूर्ण नीति बरत रहे थे, भारी निराशा हुई और इसके शीघ्र ही बाद 1964 ई॰ में उनकी मृत्यु हो गयी।

पाकिस्तान से युद्ध 1965

पाकिस्तान भारत के लिए भारी चिन्ता का विषय बना रहा। उसने 1947 ई॰ में ही पाकिस्तानी सैनिकों को क़बीले वालों के वेश में कश्मीर भेजा था और वह कश्मीर के सवाल को भारत के साथ अपने विवाद का मुख्य विषय बनाये हुए था। इसके फलस्वरूप सितम्बर 1965 ई॰ में भारत और पाकिस्तान के बीच तीन सप्ताह का युद्ध छिड़ गया। यह युद्ध संयुक्त राष्ट्रसंघ और सोवियत संघ के हस्तक्षेप से समाप्त हुआ। सोवियत संघ ने ताशकंद में पाकिस्तान के प्रसीडेंट अयूब ख़ाँ तथा भारत के प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री का एक सम्मेलन किया। दोनों राष्ट्राध्यक्षों ने एक संयुक्त घोषणा प्रकाशित करके सभी विवादास्पद सवालों को शान्तिपूर्ण रीति से तय करने तथा अपनी सेनाओं को युद्ध-पूर्व की स्थिति पर वापस लौटा लेने पर सहमति व्यक्त की। 11 जनवरी 1966 ई॰ को ताशकंद समझौते पर हस्ताक्षर करने के कुछ घंटे बाद ही लालबहादुर शास्त्री की मृत्यु हो गयीं तत्पश्चात जवाहर लाल नेहरू की पुत्री इंदिरा गाँधी उनके स्थान पर भारत की प्रधानमंत्री चुनी गयीं।


http://news.google.com/newspapers?id=E00fAAAAIBAJ&sjid=hdEEAAAAIBAJ&dq=goa%20india&pg=4484%2C82315 (Goa 1 Jan 1975)

http://news.google.com/newspapers?id=s6EtAAAAIBAJ&sjid=r3EFAAAAIBAJ&dq=independence%20of%20india&pg=1883%2C3353579 (15 Aug 1947)

http://news.google.com/newspapers?id=HHgbAAAAIBAJ&sjid=E00EAAAAIBAJ&dq=independence%20india&pg=4776%2C4839970 (15 Aug 1947)

टीका टिप्पणी