जोखांग: Difference between revisions

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जोखांग मठ [[ल्हासा]] के पोताला महल के नजदीक ही स्थित है। पोताला महल से पैदल जाने पर लगभग दस मिनट लगते हैं। जोखांग मठ के के सामने विशाल चौक पर पहुंचते ही, दूर से मठ के दरवाजे पर लगे बौद्ध सूत्र झंडियां दिखाई देती हैं। मठ के प्रांगण में घुसते विभिन्न भवनों से उठ रही धुआँ, मठ का चमकीला गुंबद और [[घी]] की खुशबू से पूरा भरा वातारवरण सुगंधित लगता है।
जोखांग मठ [[ल्हासा]] के पोताला महल के नजदीक ही स्थित है। पोताला महल से पैदल जाने पर लगभग दस मिनट लगते हैं। जोखांग मठ के के सामने विशाल चौक पर पहुंचते ही, दूर से मठ के दरवाज़े पर लगे बौद्ध सूत्र झंडियां दिखाई देती हैं। मठ के प्रांगण में घुसते विभिन्न भवनों से उठ रही धुआँ, मठ का चमकीला गुंबद और [[घी]] की खुशबू से पूरा भरा वातारवरण सुगंधित लगता है।





Revision as of 05:26, 10 December 2012

[[चित्र:Tibet-Jokhang-Temple.jpg|thumb|जोखांग मन्दिर, तिब्बत]] जोखांग तिब्बत की राजधानी ल्हासा स्थित एक प्रसिद्ध बौद्ध मठ है जो दुनियाभर से आए हजारों सैलानियों और बौद्ध लोगों को अपनी ओर से आकर्षित करता है। इसका निर्माण 7वीं शताब्दी में राजा सोंगसन गेम्पो ने करवाया था। मंगोलों ने कई बार इसे बर्बाद करने की कोशिश की, लेकिन फिर भी इसे जमींदोज न कर पाए। यह मठ 25 हजार स्क्वायर मीटर क्षेत्र में फैला है।

इतिहास

ल्हासा में यह लोकोक्ति है कि पहले जोखांग फिर ल्हासा। इसी लोकोक्ति से जोखांग मठ के लम्बे इतिहास का पता चलता है। ईस्वी 7 वीं शताब्दी में 33वाँ तिब्बती राजा सोंगत्सेन गेम्पो ने पूरे तिब्बत को एकीकृत करने के बाद अपने राजमहल को लोका इलाके से स्थानांतरित कर ल्हासा लाया। यही आज का ल्हासा शहर भी है। उस समय ल्हासा में बहुत कम इमारत थी। राजा सांगत्सेन गेम्पो ने बारी-बारी से पड़ोसी देश नेपाल की राजकुमारी भृकुटी देवी और थांग राजवंश की राजकुमारी वनछङ से शादी की थी। भगवान बुद्ध की दो बहुमूल्य मूर्तियां भी इन दोनों महारानियों के साथ तिब्बत आयी। लेकिन उस समय भगवान बुद्ध की इन दोनों मूर्तियों की स्थापना एक समस्या बन गयी थी। वनछङ महारानी की राय से राजा सोंगत्सेन गेम्पो ने दो विशाल मठों का निर्माण करवाया जिसमें दोनों मूर्तियों को स्थापित किया गया। दोनों मठों के निर्माण के बाद, तिब्बती बौद्ध धर्म के पवित्र स्थल के रूप में यहाँ पर पूजा करने वाले लोगों की आवाजाही शुरू हो गई। धीरे धीरे बड़े मठ यानि जोखांग मठ को केंद्र में रखते हुए इसके चारों तरफ शहर का निर्माण होने लगा जो आज का ल्हासा शहर है। इसलिए ऐसा कहा जाता है कि, पहले जोखांग फिर ल्हासा।[1]

कैसे पहुँचे

जोखांग मठ ल्हासा के पोताला महल के नजदीक ही स्थित है। पोताला महल से पैदल जाने पर लगभग दस मिनट लगते हैं। जोखांग मठ के के सामने विशाल चौक पर पहुंचते ही, दूर से मठ के दरवाज़े पर लगे बौद्ध सूत्र झंडियां दिखाई देती हैं। मठ के प्रांगण में घुसते विभिन्न भवनों से उठ रही धुआँ, मठ का चमकीला गुंबद और घी की खुशबू से पूरा भरा वातारवरण सुगंधित लगता है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. तिब्बती बौद्ध धर्म का जोखांग मठ (हिन्दी) (एच.टी.एम.एल) सीआरआई ऑनलाइन। अभिगमन तिथि: 25 अक्टूबर, 2012।

बाहरी कड़ियाँ

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