बिंदी: Difference between revisions

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*एक मान्यता के अनुसार बिंदी लगाने की परंपरा आज्ञा चक्र पर दबाव बनाने के लिए प्रारंभ की गई ताकि मन एकाग्र रहे।  
*एक मान्यता के अनुसार बिंदी लगाने की परंपरा आज्ञा चक्र पर दबाव बनाने के लिए प्रारंभ की गई ताकि मन एकाग्र रहे।  
*बिंदी तीन तरह की होती है:-
*बिंदी तीन तरह की होती है:-
**'''तिलक''' जो शाक्त लगाते है। (देवी के शक्ति रूप की पूजा करने वाले)  
**'''[[तिलक]]''' जो शाक्त लगाते है। ([[पार्वती देवी|देवी]] के शक्ति रूप की पूजा करने वाले)  
**'''बिंदी''' जो वैष्णव लगाते है। (विष्णु और विष्णु के अवतारों की पूजा करने वाले)
**'''बिंदी''' जो वैष्णव लगाते है। ([[विष्णु]] और विष्णु के अवतारों की पूजा करने वाले)
**'''त्रिपुण्ड''' जो शैव लगाते है। (शिव की पूजा करने वाले)
**'''त्रिपुण्ड''' जो शैव लगाते है। ([[शिव]] की पूजा करने वाले)


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Revision as of 12:57, 20 November 2012

thumb|बिंदी बिंदी स्त्रियों की सुंदरता को बढाने के लिए माथे पर लगाने का गोल छोटा टीका होती है। बिंदी स्त्रियों के श्रृंगार में महत्त्वपूर्ण स्थान रखती है और माथे को सजाने के लिए लगायी जाती है। बिंदी स्त्रियों के 16 श्रृंगार में से एक है।

  • लड़कियाँ बिंदी का उपयोग सुंदरता बढ़ाने के उद्देश्य से करती हैं और विवाहित महिलाओं के लिए यह सुहाग की निशानी मानी जाती है।
  • हिन्दू धर्म में शादी के बाद हर स्त्री को माथे पर लाल बिंदी लगाना आवश्यक परंपरा माना गया है।
  • बिंदी का महत्त्व केवल सौंदर्य बढ़ाने वाले श्रृंगार तक ही सीमित नहीं है।
  • एक मान्यता के अनुसार बिंदी लगाने की परंपरा आज्ञा चक्र पर दबाव बनाने के लिए प्रारंभ की गई ताकि मन एकाग्र रहे।
  • बिंदी तीन तरह की होती है:-
    • तिलक जो शाक्त लगाते है। (देवी के शक्ति रूप की पूजा करने वाले)
    • बिंदी जो वैष्णव लगाते है। (विष्णु और विष्णु के अवतारों की पूजा करने वाले)
    • त्रिपुण्ड जो शैव लगाते है। (शिव की पूजा करने वाले)


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