तीन दोस्त -दुष्यंत कुमार: Difference between revisions
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ये बाग़ बुज़ुर्गों ने आँसू औ’ श्रम देकर | ये बाग़ बुज़ुर्गों ने आँसू औ’ श्रम देकर | ||
पाले से रक्षा कर पाला है ग़म देकर | पाले से रक्षा कर पाला है ग़म देकर | ||
हर साल कोई इसकी भी फ़सलें ले | हर साल कोई इसकी भी फ़सलें ले ख़रीद | ||
कोई लकड़ी, कोई पत्तों का हो मुरीद | कोई लकड़ी, कोई पत्तों का हो मुरीद | ||
किस तरह गवारा हो सकता है यह हमको | किस तरह गवारा हो सकता है यह हमको |
Revision as of 14:28, 21 February 2013
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सब बियाबान, सुनसान अँधेरी राहों में |
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