तुलसी माता की आरती: Difference between revisions
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Revision as of 09:19, 15 April 2013
[[चित्र:Holy basil.jpg|thumb|तुलसी]]
जय जय तुलसी माता,
सबकी सुखदाता वर माता।
सब योगों के ऊपर,
सब रोगों के ऊपर,
रज से रक्षा करके भव त्राता।
बहु पुत्री है श्यामा, सूर वल्ली है ग्राम्या,
विष्णु प्रिय जो तुमको सेवे सो नर तर जाता।
हरि के शीश विराजत त्रिभुवन से हो वंदित,
पतित जनों की तारिणि तुम हो विख्याता।
लेकर जन्म बिजन में, आई दिव्य भवन में,
मानव लोक तुम्हीं से सुख संपति पाता।
हरि को तुम अति प्यारी श्याम वर्ण सुकुमारी,
प्रेम अजब है श्री हरि का तुम से नाता।
जय जय तुलसी माता।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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