अफ़ीम युद्ध प्रथम: Difference between revisions
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
व्यवस्थापन (talk | contribs) m (Text replace - " खाली " to " ख़ाली ") |
गोविन्द राम (talk | contribs) m (अफीम युद्ध प्रथम का नाम बदलकर अफ़ीम युद्ध प्रथम कर दिया गया है) |
(No difference)
|
Revision as of 11:40, 4 December 2013
प्रथम अफीम युद्ध ब्रिटेन द्वारा चीन पर किया गया सर्वप्रथम आक्रमणकारी युद्ध था। इस युद्ध की शुरुआत 1840 ई. में हुई और यह दो साल (1840 से 1842 ई.) तक चला। यह युद्ध चीन के 'छिंग राजवंश' और और ब्रिटेन के बीच चल रहे गहरे विवादों के अपने चरमोत्कर्ष पर पहुँचने के कारण हुआ। ब्रिटेन ने बड़ी मात्रा में अफीम का निर्यात चीन को किया था, जिससे वहाँ के निवासियों पर इसका बुरा प्रभाव पड़ा था। युद्ध में ब्रिटेन की सेना के दबाब के आगे छिंग राजवंश की सरकार को ब्रिटेन से 'नानचिंग सन्धि' करनी पड़ी, जिसके फलस्वरूप चीन एक अर्ध उपनिवेशिक देश बन गया।
युद्ध की शुरुआत
ब्रिटेन ने 19वीं शताब्दी के मध्य में अफीम के व्यापार को लेकर ही चीन के विरूद्ध आक्रमणकारी युद्ध छेड़ दिया था। यह युद्ध सन 1840 में हुआ और 18वीं सदी के अंत में ब्रिटेन ने चीन को भारी मात्रा में अफीम का निर्यात किया। इस कारण उसे ढेर सारी चांदी का लाभ हुआ। अफीम सेवन से बहुत से चीनियों की सेहत पर बुरा असर पड़ा और राजकोष ख़ाली होने लगा। इससे छिंग राजवंश की सरकार की आंखें खुलीं और सम्राट ने सन 1838 के अंत में 'लिन चे-श्यू' को अफीम के व्यापार पर पाबंदी लगाने के लिए विशेष दूत नियुक्त कर दिया। अगले साल मार्च में लिन चे-श्यू ने दक्षिण चीन के क्वांगचो शहर जाकर समुद्री रक्षा-व्यवस्था कड़ी की और अफीम के व्यापारियों की गिरफ्तारी कराई। 3 जून से 25 जून के बीच जब्त किए गए 11 लाख, 80 हज़ार किलो अफीम को 'हुमन' समुद्रतट पर सार्वजनिक रूप से नष्ट कर दिया गया। इससे पहले अप्रैल में ही ब्रिटेन ने अमरीका और फ़्राँस के समर्थन पर व्यपारियों की रक्षा के बहाने 'कप ऑफ़ गुट होप ले' नामक नौ समुद्री पोतों का एक बेड़ा चीन की ओर रवाना करवा दिया। 28 जून को ब्रिटिश नौसेना ने चू-च्यांग या पर्ल नदी के मुहाने पर नाकेबंदी कर दी। इस प्रकार अफीम युद्ध की शुरूआत हुई।[1]
जुलाई में ब्रिटिश नौसेना ने उत्तर की ओर बढते हुए पेइचिंग के नजदीक ताकू बन्दरगाह पर कब्जा करके छिंग राजवंश की सरकार पर दबाव डालने की कोशिश की। इस पर सम्राट ने लिन च-श्यु को पद से बर्खास्त कर दिया और ब्रिटेन के साथ शांति समझौता सपन्न करने के लिए अपना दूसरा अधिकारी क्वांगचो शहर भेजा। 1841 ई. की जनवरी में ब्रिटेन ने क्वांगचो के पास चीनी सेना के दो ठिकानों पर कब्ज़ा कर लिया। 27 जनवरी को सम्राट ने ब्रिटेन के ख़िलाफ़ युद्ध घोषित कर दिया।
समाप्ति
ब्रिटेन ने अक्टूबर में पूर्वी चीन के तिन-हाई और निनपो आदि नगरों पर कब्ज़ा कर लिया और 1842 की जुलाई में उसकी सेना चच्यांग नगर पर अधिकार कर यांगत्सी नदी के किनारे चीन के भीतरी क्षेत्र की ओर बढने लगी। 29 अगस्त को छिंग राजवंश की सरकार ने ब्रिटेन के साथ 'नानचिंग सन्धि' पर हस्ताक्षर किए और युद्ध की समाप्ति की। तब से चीन एक अर्ध-उपनिवेशिक और अर्ध-सामंती देश बन गया।[1]
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ 1.0 1.1 अफीम युद्ध (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 31 जुलाई, 2012।