नन्दिवर्धन: Difference between revisions

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'''नन्दिवर्धन''' को [[पुराण|पुराणों]] के अनुसार '[[प्रद्योत राजवंश]]' का अंतिम शासक बताया गया है। इसके बारे में अधिक जानकारी का अभाव है।
'''नन्दिवर्धन''' अथवा 'नन्दवर्धन' अथवा 'वर्तिवर्धन' को [[पुराण|पुराणों]] के अनुसार '[[प्रद्योत राजवंश]]' का अंतिम शासक बताया गया है। इसके बारे में अधिक जानकारी का अभाव है।


*पुराणों के अनुसार नन्दिवर्धन [[शिशुनाग वंश]] के अंतिम शासक 'पंचमक' के पूर्व [[अवन्ति]] का राजा था।
*पुराणों के अनुसार नन्दिवर्धन [[शिशुनाग वंश]] के अंतिम शासक पंचमक के पूर्व [[अवन्ति]] का राजा था।
*[[मगध]] की बढ़ती शक्ति के समक्ष धीरे-धीरे अवन्ति कमज़ोर होता जा रहा था। अंततः मगध नरेश [[शिशुनाग]] ने प्रद्योत राजवंश का अंत कर दिया तथा [[शूरसेन जनपद|शूरसेन]] सहित अवन्ति राज्य को भी मगध में मिला लिया।
*[[मगध]] की बढ़ती शक्ति के समक्ष धीरे-धीरे अवन्ति कमज़ोर होता जा रहा था। अंततः मगध नरेश [[शिशुनाग]] ने प्रद्योत राजवंश का अंत कर दिया तथा [[शूरसेन जनपद|शूरसेन]] सहित अवन्ति राज्य को भी मगध में मिला लिया।


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==संबंधित लेख==
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Revision as of 09:13, 18 June 2015

नन्दिवर्धन अथवा 'नन्दवर्धन' अथवा 'वर्तिवर्धन' को पुराणों के अनुसार 'प्रद्योत राजवंश' का अंतिम शासक बताया गया है। इसके बारे में अधिक जानकारी का अभाव है।

  • पुराणों के अनुसार नन्दिवर्धन शिशुनाग वंश के अंतिम शासक पंचमक के पूर्व अवन्ति का राजा था।
  • मगध की बढ़ती शक्ति के समक्ष धीरे-धीरे अवन्ति कमज़ोर होता जा रहा था। अंततः मगध नरेश शिशुनाग ने प्रद्योत राजवंश का अंत कर दिया तथा शूरसेन सहित अवन्ति राज्य को भी मगध में मिला लिया।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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