बिहार का यातायात: Difference between revisions
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बिहार की परिवहन व्यवस्था शुरू से ही नदियों से प्रभावित रही है। नौका द्वारा नदियों के किनारों पर परिवहन की व्यवस्था रहती है। राज्य की परिवहन व्यवस्था गंगा नदी पर विशेष रूप से निर्भर है। गंगा नदी के उत्तर तथा दक्षिणी मैदानी भागों में रेल तथा सड़कों द्वारा परिवहन की व्यवस्था बाढ़ आदि से प्रभावित होती है, इसलिए नदी के किनारों पर सुदृढ़ | बिहार की परिवहन व्यवस्था शुरू से ही नदियों से प्रभावित रही है। नौका द्वारा नदियों के किनारों पर परिवहन की व्यवस्था रहती है। राज्य की परिवहन व्यवस्था गंगा नदी पर विशेष रूप से निर्भर है। गंगा नदी के उत्तर तथा दक्षिणी मैदानी भागों में रेल तथा सड़कों द्वारा परिवहन की व्यवस्था बाढ़ आदि से प्रभावित होती है, इसलिए नदी के किनारों पर सुदृढ़ [[तटबंध]]ों का निर्माण कराया गया है। | ||
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बिहार की परिवहन व्यवस्था शुरू से ही नदियों से प्रभावित रही है। नौका द्वारा नदियों के किनारों पर परिवहन की व्यवस्था रहती है। राज्य की परिवहन व्यवस्था गंगा नदी पर विशेष रूप से निर्भर है। गंगा नदी के उत्तर तथा दक्षिणी मैदानी भागों में रेल तथा सड़कों द्वारा परिवहन की व्यवस्था बाढ़ आदि से प्रभावित होती है, इसलिए नदी के किनारों पर सुदृढ़ तटबंधों का निर्माण कराया गया है।
नाम | लम्बाई (कि.मी) |
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राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-2 | 392 किलोमीटर |
राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-6 | बिहार में लम्बाई 22 किलोमीटर |
राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या- 23 | 250 किलोमीटर लम्बाई |
राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-28 | 259 किलोमीटर लम्बाई |
राष्ट्रीय राजमार्ग-30 | 230 किलोमीटर लम्बाई |
राष्ट्रीय राजमार्ग-31 | 437 किलोमीटर लम्बाई |
बिहार से उत्तर भारत के अनेक राज्य सड़क मार्ग से जुड़े हैं। शेरशाह ने पेशावर तक सड़क मार्ग का निर्माण कराया था। यह मार्ग उस समय 'सड़क-ए-आज़म' कहलाता था, आजकल इस सड़क को 'The Grand Trunk Road / ग्रैंड ट्रंक रोड / जी. टी. रोड' के नाम से जाना जाता है। शेरशाह ने 1542 ई. में इसका निर्माण कराया था। यह सड़क पेशावर से कोलकाता तक जाती है। बिहार की परिवहन व्यवस्था में सड़क और रेलमार्ग बहुत महत्त्वपूर्ण है किंतु जल परिवहन का विकास सीमित ही हुआ है। बिहार में यातायात के मुख्यतः चार साधन हैं-
- सड़क
पुराने समय से ही बिहार उत्तर भारत के अन्य भागों से सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है। प्राचीन शासकों की प्रशासनिक और आर्थिक व्यवस्था स्थल मार्गों पर ही आधारित थी। सम्राट अशोक ने वैभवशाली मगध को राजधानी बनाया था, और राजगौर और पाटलिपुत्र के बीच राज्य मार्ग का निर्माण कराया था। मध्यकाल में मुग़ल शासकों और शेरशाह सूरी ने सड़क का निर्माण किया था।
- 1947 ई. में बिहार में कुल सड़कों की लम्बाई 1315 किलोमीटर थी। आजकल सड़कों की लम्बाई 67116 किलोमीटर है। राष्ट्रीय मार्ग राज्य की प्राथमिक सड़क व्यवस्था है। इसके रखरखाव की व्यवस्था केन्द्रीय सरकार पर है। राज्य में 4717 किलोमीटर लम्बे सड़क मार्ग का निर्माण किया गया है। इसके अतिरिक्त 26092 कि.मी. लम्बी सड़कों को दो लेन का किया जा रहा है।
- प्रान्तीय राजमार्ग, जो ज़िला मुख्यालयों और प्रदेश की राजधानी को जोड़ते हैं। बिहार के मैदानी भाग में सड़कें बरसात में पानी में डूब जाती हैं।
- स्थानीय सड़कें, जो ज़िला मुख्यालय को कस्बों और गाँवों को आपस में जोड़ती हैं। ये कच्ची और पक्की दोनों तरह की होती हैं। यह ईंटों से बनीं हैं और वर्षा से इनमें टूट-फूट हो जाती है।
- मार्च, 2008 तक बिहार में 45,721.059 किलोमीटर पक्की सड़कें थीं। इनमें 3,734.38 किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्ग, 3,766.029 किलोमीटर प्रांतीय राजमार्ग, 7,992.65 प्रमुख ज़िला सड़कें, 2,828 किलोमीटर अन्य ज़िला सड़कें तथा 27,400 किलोमीटर ग्रामीण सड़कें शामिल थीं।
- रेलवे
बिहार में रेल लाइनों का अच्छा जाल बिछा हुआ है। मोकामा में एकमात्र रेलवे पुल होने के कारण उत्तरी बिहार के लिए परिवहन व्यवस्था में थोड़ी परेशानी है। कुछ महत्वपूर्ण स्थानों को जोड़ने वाले रेलमार्गो, जैसे- मुजफ्फरपुर-समस्तीपुर-बरौनी-कटिहार और समस्तीपुर राज्य के मुख्य रेलवे जंक्शन हैं।
- उड्डयन
राज्य में सभी बड़े ज़िलों में हवाई पट्टियों के अलावा पटना में अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा है। परिवहन के द्वारा राज्य की आर्थिक प्रगति तथा विकास होता है। परिवहन की समुचित व्यवस्था से औद्योगीकरण, कृषि और सामाजिक जीवन का विकास होता है।
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