सिद्धि: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
m (Text replace - " जिक्र" to " ज़िक्र")
Line 1: Line 1:
'''सिद्धि''' शब्द का अर्थ है- 'सफलता', 'पूर्णता' और 'प्राप्ति' आदि। लगभग सभी धर्म ग्रन्थ और [[संस्कृति|संस्कृतियों]] में चमत्कार का जिक्र है। [[हिन्दू]] समाज में चमत्कार की तुलना में 'सिद्धि' शब्द अधिक कहा और समझा जाता है। सिद्धि [[संस्कृत]] का शब्द है। इसे परिपूर्णता, उपलब्धि, दक्षता, ज्ञान, योग्यता, विद्या आदि का समानार्थी कहा जा सकता है। यह शब्द [[महाभारत]] में मिलता है। '[[पंचतंत्र]]' में कोई असामान्य कौशल या क्षमता अर्जित करने को 'सिद्धि' कहा गया है। '[[मनुस्मृति]]' में इसका प्रयोग 'ऋण चुकता करने' के अर्थ में हुआ है।
'''सिद्धि''' शब्द का अर्थ है- 'सफलता', 'पूर्णता' और 'प्राप्ति' आदि। लगभग सभी धर्म ग्रन्थ और [[संस्कृति|संस्कृतियों]] में चमत्कार का ज़िक्र है। [[हिन्दू]] समाज में चमत्कार की तुलना में 'सिद्धि' शब्द अधिक कहा और समझा जाता है। सिद्धि [[संस्कृत]] का शब्द है। इसे परिपूर्णता, उपलब्धि, दक्षता, ज्ञान, योग्यता, विद्या आदि का समानार्थी कहा जा सकता है। यह शब्द [[महाभारत]] में मिलता है। '[[पंचतंत्र]]' में कोई असामान्य कौशल या क्षमता अर्जित करने को 'सिद्धि' कहा गया है। '[[मनुस्मृति]]' में इसका प्रयोग 'ऋण चुकता करने' के अर्थ में हुआ है।
{{tocright}}
{{tocright}}
==प्रकार==
==प्रकार==
Line 12: Line 12:
#'वशित्व' - वश में कर लेना
#'वशित्व' - वश में कर लेना
==पतंजलि के योगसूत्र का उल्लेख==
==पतंजलि के योगसूत्र का उल्लेख==
तंत्र बौद्ध में 'सिद्धि' का मतलब अतींद्रिय और जादुई तरीकों से पारलौकिक शक्तियाँ हासिल करने से है। इन शक्तियों में शामिल हैं- सूक्ष्म या अतींद्रिय शक्ति, आकाशगमिता या उत्थापन, अणु की तरह सूक्ष्म बनना, मूर्त रूप, पूर्वजन्म की स्मृतियों तक पहुँचना आदि। [[पतंजलि]] के योगसूत्र में ऐसी कई योगिक क्रियाओं का जिक्र है, जिनके अभ्यास से आठ तरह की सिद्धियाँ विकसित की जा सकती हैं। इसमें पानी के ऊपर चलना और अदृश्य हो जाना शामिल है। चमत्कार के रूप में जो कुछ धर्मग्रन्थों में लिखा होता है, उसे प्राय: विश्वसनीय माना जाता है। [[रामायण]], [[महाभारत]] आदि [[ग्रन्थ|ग्रन्थों]] में बहुत सारे चमत्कारों का जिक्र है।
तंत्र बौद्ध में 'सिद्धि' का मतलब अतींद्रिय और जादुई तरीकों से पारलौकिक शक्तियाँ हासिल करने से है। इन शक्तियों में शामिल हैं- सूक्ष्म या अतींद्रिय शक्ति, आकाशगमिता या उत्थापन, अणु की तरह सूक्ष्म बनना, मूर्त रूप, पूर्वजन्म की स्मृतियों तक पहुँचना आदि। [[पतंजलि]] के योगसूत्र में ऐसी कई योगिक क्रियाओं का ज़िक्र है, जिनके अभ्यास से आठ तरह की सिद्धियाँ विकसित की जा सकती हैं। इसमें पानी के ऊपर चलना और अदृश्य हो जाना शामिल है। चमत्कार के रूप में जो कुछ धर्मग्रन्थों में लिखा होता है, उसे प्राय: विश्वसनीय माना जाता है। [[रामायण]], [[महाभारत]] आदि [[ग्रन्थ|ग्रन्थों]] में बहुत सारे चमत्कारों का ज़िक्र है।
 
 
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}

Revision as of 14:22, 16 November 2014

सिद्धि शब्द का अर्थ है- 'सफलता', 'पूर्णता' और 'प्राप्ति' आदि। लगभग सभी धर्म ग्रन्थ और संस्कृतियों में चमत्कार का ज़िक्र है। हिन्दू समाज में चमत्कार की तुलना में 'सिद्धि' शब्द अधिक कहा और समझा जाता है। सिद्धि संस्कृत का शब्द है। इसे परिपूर्णता, उपलब्धि, दक्षता, ज्ञान, योग्यता, विद्या आदि का समानार्थी कहा जा सकता है। यह शब्द महाभारत में मिलता है। 'पंचतंत्र' में कोई असामान्य कौशल या क्षमता अर्जित करने को 'सिद्धि' कहा गया है। 'मनुस्मृति' में इसका प्रयोग 'ऋण चुकता करने' के अर्थ में हुआ है।

प्रकार

पहली बार सिद्धि का उल्लेख महाभारत में मिलता है। 'पंचतंत्र' में सिद्धि का मतलब किसी असाधारण योग्यता, क्षमता व कुशलता से है। सांख्यकारिका और तत्त्व समास में इसका संदर्भ आठ सिद्धियों की प्राप्ति से है, जिन्हें पाने के बाद व्यक्ति दु:ख पैदा करने वाली अज्ञानता से मुक्त होकर ज्ञान और परमानंद प्राप्त करता है। आठ सिद्धियाँ इस प्रकार हैं-

  1. 'अणिमा' - शरीर को अणु के समान सूक्ष्म बनाना
  2. 'महिमा' - शरीर को विशालकाय बनाना
  3. 'गरिमा' - असीम रूप में भारी बनना
  4. 'लघिमा' - भारहीन बनना
  5. 'प्राप्ति' - हर स्थान तक पहुँचने की क्षमता
  6. 'प्रकाम्य' - मनोवांछित वस्तु पा लेना
  7. 'ईशित्व' - ईश्वरत्व पाना
  8. 'वशित्व' - वश में कर लेना

पतंजलि के योगसूत्र का उल्लेख

तंत्र बौद्ध में 'सिद्धि' का मतलब अतींद्रिय और जादुई तरीकों से पारलौकिक शक्तियाँ हासिल करने से है। इन शक्तियों में शामिल हैं- सूक्ष्म या अतींद्रिय शक्ति, आकाशगमिता या उत्थापन, अणु की तरह सूक्ष्म बनना, मूर्त रूप, पूर्वजन्म की स्मृतियों तक पहुँचना आदि। पतंजलि के योगसूत्र में ऐसी कई योगिक क्रियाओं का ज़िक्र है, जिनके अभ्यास से आठ तरह की सिद्धियाँ विकसित की जा सकती हैं। इसमें पानी के ऊपर चलना और अदृश्य हो जाना शामिल है। चमत्कार के रूप में जो कुछ धर्मग्रन्थों में लिखा होता है, उसे प्राय: विश्वसनीय माना जाता है। रामायण, महाभारत आदि ग्रन्थों में बहुत सारे चमत्कारों का ज़िक्र है।  

पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख