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<center>[[भारतकोश सम्पादकीय 23 सितम्बर 2014|‘ब्रज’ एक अद्‌भुत संस्कृति]]</center>
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Revision as of 08:12, 23 September 2014

भारतकोश सम्पादकीय -आदित्य चौधरी
‘ब्रज’ एक अद्‌भुत संस्कृति

right|120px|border|link=भारतकोश सम्पादकीय 23 सितम्बर 2014

            ब्रज का ज़िक्र आते ही जो सबसे पहली आवाज़ हमारी स्मृति में आती है, वह है घाटों से टकराती हुई यमुना की लहरों की आवाज़… कृष्ण के साथ-साथ खेलकर यमुना ने बुद्ध और महावीर के प्रवचनों को साक्षात उन्हीं के मुख से अपनी लहरों को थाम कर सुना… फ़ाह्यान की चीनी भाषा में कहे गये मो-तो-लो (मोरों का नृत्य स्थल ‘मथुरा’) को भी समझ लिया और प्लिनी के ‘जोमनेस’ उच्चारण को भी… यमुना की ये लहरें रसख़ान और रहीम के दोहों पर झूमी हैं… सूर और मीरा के पदों पर नाची हैं… ...पूरा पढ़ें

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