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'''सर्बानन्द सोणोवाल''' (अंग्रेज़ी: ''Sarbananda Sonowal'', जन्म: [[31 अक्टूबर]], [[1962]], डिब्रुगढ़ [[असम]]) असम के 14वें [[मुख्यमंत्री]] हैं। ये [[भारत]] की सोलहवीं [[लोकसभा]] के [[सांसद]] हैं। [[2014]] के चुनावों में ये असम की लखीमपुर सीट से [[भारतीय जनता पार्टी]] के टिकट पर चुनाव लड़कर निर्वाचित हुए हैं। केंद्रीय मंत्रिमंडल में इन्हें खेल एवं युवा मामलों के राज्‍यमंत्री (स्‍वतंत्र प्रभार) का पद दिया। [[मई]], [[2016]] में हुए असम विधान सभा चुनाव में यह भारतीय जनता पार्टी के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार थे। चुनावों में पार्टी के विजयी होने के बाद सोनोवाल ने [[26 मई]] को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी।
'''सर्बानन्द सोणोवाल''' (अंग्रेज़ी: ''Sarbananda Sonowal'', जन्म: [[31 अक्टूबर]], [[1962]], डिब्रुगढ़ [[असम]]) असम के 14वें [[मुख्यमंत्री]] हैं। ये [[भारत]] की सोलहवीं [[लोकसभा]] के [[सांसद]] हैं। [[2014]] के चुनावों में ये असम की लखीमपुर सीट से [[भारतीय जनता पार्टी]] के टिकट पर चुनाव लड़कर निर्वाचित हुए हैं। केंद्रीय मंत्रिमंडल में इन्हें खेल एवं युवा मामलों के राज्‍यमंत्री (स्‍वतंत्र प्रभार) का पद दिया। [[मई]], [[2016]] में हुए असम विधान सभा चुनाव में यह भारतीय जनता पार्टी के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार थे। चुनावों में पार्टी के विजयी होने के बाद सोनोवाल ने [[26 मई]] को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी।


==जन्म एवं शिक्षा==
==परिचय==
सर्बानन्द सोनोवाल का जन्म असम के डिब्रूगढ़ में 31 अक्टूबर, 1962 को हुआ था। इनके पिता का नाम जीवेश्वर सोनोवाल और माता का नाम दिनेश्वरी सोनोवाल है। इन्होंने   
सर्बानन्द सोनोवाल का जन्म असम के डिब्रूगढ़ में 31 अक्टूबर, 1962 को हुआ था। इनके पिता का नाम जीवेश्वर सोनोवाल और माता का नाम दिनेश्वरी सोनोवाल है। इन्होंने   
डिब्रूगढ़ विश्वविद्यालय से स्नातक किया और उसके बाद क़ानून की पढ़ाई के लिए गुवाहाटी विश्वविद्यालय गये। यहीं से उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरूआत भी की।<ref>{{cite web |url=http://zeenews.india.com/hindi/india/sarbananda-sonowal-sworns-as-first-bjp-chief-minister-of-assam-today/291917|title=पूर्वोत्तर में पहली बार बनी भाजपा नीत सरकार, असम के 14वें मुख्यमंत्री के रूप में सर्बानंद सोनोवाल ने ली शपथ, समारोह में PM मोदी भी रहे मौजूद |accessmonthday=21 मार्च |accessyear=2017 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=zeenews.india.com |language=हिंदी }}</ref> ये छात्र जीवन के दौरान ही छात्र राजनीति में भी संलग्न रहे। वर्ष [[1996]] से [[2000]] तक ये पूर्वोत्तर छात्र संगठन (एन.ई.एस.ओ) के अध्यक्ष भी रहे। मौजूदा समय में यह असम के लखीमपुर सीट से लोकसभा सांसद हैं। इससे पहले यह असम भाजपा के अध्यक्ष रह चुके हैं। सोनोवाल को असम के युवा नेता के तौर प जाना जाता है। इन्हें असम का जातीय नायक भी कहा जाता है क्योंकि ये [[असम]] के कछारी जनजाति के समुदाय से आते है। भाजपा ने असम चुनाव में मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया है।<ref name="a">{{cite web |url=http://hindi.oneindia.com/news/features/biography-life-history-of-sarbananda-sonowal/gallery-cl1-379430.html |title=Sarbananda Sonowal's Biography- जानिए कौन हैं सर्बानंद सोनोवाल? |accessmonthday=21 मार्च |accessyear=2017 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=hindi.oneindia.com |language=हिंदी }}</ref>
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==राजनीतिक सफर==
==राजनीतिक सफर==
सर्वानंद सोनोवाल ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत ऑल असम स्टूडेंट यूनियन से की थी। साल [[1992]] से लेकर [[1999]] तक यह इसके प्रेसीडेंट भी रह चुके हैं। सोनोवाल ने साल [[2001]] में असम गण परिषद को ज्वाइन किया और उसी साल ये MLA बन गए। डिब्रूगढ़ में पूर्व केंद्रीय मंत्री पवन सिंह को हराकर सोनोवाल ने पहली  बार साल [[2004]] में [[लोकसभा]] में कदम रखा। असम गढ़ परिषद में हुई कुछ असमानताओं के चलते इन्होंने साल [[2011]] में [[भाजपा]] का दामन थाम लिया। भारतीय भाजपा जनता पार्टी में साल [[2012]] में इन्हें असम यूनिट का प्रेसीडेंट बनाया गया। लोकसभा में वापसी करने से पहले सोनोवाल साल 2014 तक असम BJP के चीफ भी रह चुके हैं। [[नरेंद्र मोदी]] की सरकार में इन्हें राज्य मंत्री बनाया गया था। यह साल [[2015]] में एक बार फिर असम यूनिट के चीफ के तौर पर चुने गए। सोनोवाल को इस बात का श्रेय दिया जाता है कि उन्होंने उस गैरकानूनी प्रवासी (न्यायाधिकरण द्वारा निर्धारित) अधिनियम को सफलतापूर्वक चुनौती दी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने [[2005]] में असंवैधानिक बताया था।<ref>{{cite web |url=http://m.navodayatimes.in/news/khabre/profile-of-assam-bjp-leader-sarbananda-sonowal/6059/ |title=पढ़ें, असम में कमल खिलाने वाले सर्वानंद सोनोवाल से जुड़ीं कुछ बातें |accessmonthday=21 मार्च |accessyear=2017 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=m.navodayatimes.in |language=हिंदी }}</ref>
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==अवैध बांग्लादेशी नागरिकों के खिलाफ उठायी आवाज==
==अवैध बांग्लादेशी नागरिकों के खिलाफ उठायी आवाज==
[[असम]] में [[बांग्लादेश]] के नागरियों की अवैध स्थानांतरण, जो हमेशा से ही बड़ी समस्या रहा है। बांग्लादेशी नागरिकों को अवैध रूप से [[भारत]] में आने से रोकने के लिए इल्लीगल माइग्रैंड्स डिटर्मिनेशन बाई ट्राइब्युनल एक्ट 1983 अस्तित्व में आया है। यह एक्ट [[भारत सरकार]] और ऑल स्टूडेंट यूनियन के बीच हुआ था। इस एक्ट के अनुसार असम में अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशी नागरिकों को असम में रहने की अनुमति दी गयी थी। यह क़ानून उन विदेशी नागरिकों पर लागू होता है जो [[25 मार्च]] 1971 के बाद असम में बसे थे। सोनोवाल ने अवैध बांग्लादेशी नागरिकों के मुद्दे को सुप्रीम कोर्ट ले गये और कोर्ट ने इस एक्ट को खत्म करने का आदेश दिया। कोर्ट ने इस क़ानून को गलत ठहराया और बांग्लादेशी नागरिकों को असंवैधानिक करार दिया।<ref name="a"/>
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Revision as of 11:08, 21 March 2017

कविता बघेल 9
पूरा नाम सर्बानन्द सोणोवाल
जन्म 31 अक्टूबर, 1962
जन्म भूमि डिब्रुगढ़ असम
अभिभावक जीवेश्वर सोनोवाल / दिनेश्वरी सोनोवाल
नागरिकता भारतीय
पार्टी भारतीय जनता पार्टी
पद असम के 14वें मुख्यमंत्री
शिक्षा स्नातक
विद्यालय गुवाहाटी विश्वविद्यालय
अन्य जानकारी सोनोवाल ने अवैध बांग्लादेशी नागरिकों के मुद्दे को सुप्रीम कोर्ट ले गये और कोर्ट ने इस एक्ट को खत्म करने का आदेश दिया। कोर्ट ने इस क़ानून को गलत ठहराया और बांग्लादेशी नागरिकों को असंवैधानिक करार दिया।

सर्बानन्द सोणोवाल (अंग्रेज़ी: Sarbananda Sonowal, जन्म: 31 अक्टूबर, 1962, डिब्रुगढ़ असम) असम के 14वें मुख्यमंत्री हैं। ये भारत की सोलहवीं लोकसभा के सांसद हैं। 2014 के चुनावों में ये असम की लखीमपुर सीट से भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़कर निर्वाचित हुए हैं। केंद्रीय मंत्रिमंडल में इन्हें खेल एवं युवा मामलों के राज्‍यमंत्री (स्‍वतंत्र प्रभार) का पद दिया। मई, 2016 में हुए असम विधान सभा चुनाव में यह भारतीय जनता पार्टी के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार थे। चुनावों में पार्टी के विजयी होने के बाद सोनोवाल ने 26 मई को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी।

परिचय

सर्बानन्द सोनोवाल का जन्म असम के डिब्रूगढ़ में 31 अक्टूबर, 1962 को हुआ था। इनके पिता का नाम जीवेश्वर सोनोवाल और माता का नाम दिनेश्वरी सोनोवाल है। इन्होंने डिब्रूगढ़ विश्वविद्यालय से स्नातक किया और उसके बाद क़ानून की पढ़ाई के लिए गुवाहाटी विश्वविद्यालय गये। यहीं से उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरूआत भी की।[1] ये छात्र जीवन के दौरान ही छात्र राजनीति में भी संलग्न रहे। वर्ष 1996 से 2000 तक ये पूर्वोत्तर छात्र संगठन (एन.ई.एस.ओ) के अध्यक्ष भी रहे। मौजूदा समय में यह असम के लखीमपुर सीट से लोकसभा सांसद हैं। इससे पहले यह असम भाजपा के अध्यक्ष रह चुके हैं। सोनोवाल को असम के युवा नेता के तौर प जाना जाता है। इन्हें असम का जातीय नायक भी कहा जाता है क्योंकि ये असम के कछारी जनजाति के समुदाय से आते है। भाजपा ने असम चुनाव में मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया है।[2]


राजनीतिक सफर

सर्वानंद सोनोवाल ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत ऑल असम स्टूडेंट यूनियन से की थी। साल 1992 से लेकर 1999 तक यह इसके प्रेसीडेंट भी रह चुके हैं। सोनोवाल ने साल 2001 में असम गण परिषद को ज्वाइन किया और उसी साल ये MLA बन गए। डिब्रूगढ़ में पूर्व केंद्रीय मंत्री पवन सिंह को हराकर सोनोवाल ने पहली बार साल 2004 में लोकसभा में कदम रखा। असम गढ़ परिषद में हुई कुछ असमानताओं के चलते इन्होंने साल 2011 में भाजपा का दामन थाम लिया। भारतीय भाजपा जनता पार्टी में साल 2012 में इन्हें असम यूनिट का प्रेसीडेंट बनाया गया। लोकसभा में वापसी करने से पहले सोनोवाल साल 2014 तक असम BJP के चीफ भी रह चुके हैं। नरेंद्र मोदी की सरकार में इन्हें राज्य मंत्री बनाया गया था। यह साल 2015 में एक बार फिर असम यूनिट के चीफ के तौर पर चुने गए। सोनोवाल को इस बात का श्रेय दिया जाता है कि उन्होंने उस गैरकानूनी प्रवासी (न्यायाधिकरण द्वारा निर्धारित) अधिनियम को सफलतापूर्वक चुनौती दी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने 2005 में असंवैधानिक बताया था।[3]

अवैध बांग्लादेशी नागरिकों के खिलाफ उठायी आवाज

असम में बांग्लादेश के नागरियों की अवैध स्थानांतरण, जो हमेशा से ही बड़ी समस्या रहा है। बांग्लादेशी नागरिकों को अवैध रूप से भारत में आने से रोकने के लिए इल्लीगल माइग्रैंड्स डिटर्मिनेशन बाई ट्राइब्युनल एक्ट 1983 अस्तित्व में आया है। यह एक्ट भारत सरकार और ऑल स्टूडेंट यूनियन के बीच हुआ था। इस एक्ट के अनुसार असम में अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशी नागरिकों को असम में रहने की अनुमति दी गयी थी। यह क़ानून उन विदेशी नागरिकों पर लागू होता है जो 25 मार्च 1971 के बाद असम में बसे थे। सोनोवाल ने अवैध बांग्लादेशी नागरिकों के मुद्दे को सुप्रीम कोर्ट ले गये और कोर्ट ने इस एक्ट को खत्म करने का आदेश दिया। कोर्ट ने इस क़ानून को गलत ठहराया और बांग्लादेशी नागरिकों को असंवैधानिक करार दिया।[2]