शिलांग: Difference between revisions
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शिलांग शहर मेघालय राज्य की राजधानी, पूर्वोत्तर भारत में है। शिलांग 1,520 मीटर की ऊँचाई पर शिलांग पठार पर स्थित है। 1864 में यह पहली बार महत्वपूर्ण बना, जब इसे चेरापूंजी की जगह ज़िला मुख्यालय बनाया गया। 1874 में इसे असम के नए प्रांत की राजधानी बनाया गया। इसने पूर्व-कैंब्रियन काल के एक प्रमुख पटिताश्म समूह पर अनूठी स्थिति हासिल की है; यह एक गिरि पिंड के मध्य भाग में स्थित है, जो भ्रंशों और अन्य विशेषताओं से युक्त है। शहर के चारों ओर अनेक जलप्रपात हैं।
इतिहास
1897 में आए भूकंप ने इस शहर को पूरी तरह तबाह कर इसे बिल्कुल नए ढंग से निर्मित करने के लिए विवश कर दिया। 1972 में इस क्षेत्र के अरुणाचल प्रदेश के केंद्र शासित प्रदेश बनने तक नॉर्थ ईस्ट फ़ंटियर एजेंसी (नेफ़ा) का मुख्यालय शिलांग में ही था। इसी वर्ष यह मेघालय राज्य की राजधानी बना। यह नया राज्य पहले असम राज्य का एक हिस्सा था। 20वीं सदी के पूर्वार्द्ध में मोटरगाड़ी के प्रवेश तक यहाँ पैदल यात्रा ही आवागमन का एक मात्र ज़रिया था। 1906 में यहाँ मोटरगाड़ी चलनी शुरु हुई। आधुनिक शिलांग में वाहन अच्छी-खासी संख्या में है। जो शहर में भीड़-भाड रास्ता जाम और प्रदूषण फैलाते हैं। भीड़ की एक वजह यह भी है कि असम के विभिन्न स्थानों से मिज़ोरम और त्रिपुरा जैसे पूर्वोत्तर राज्यों को जोड़ने वाला राष्ट्रीय राजमार्ग शहर से होकर गुजरता है।
कृषि और खनिज
शिलांग पूर्वोत्तर राज्यों के बड़े शहरों में से एक और कृषि उत्पादों का महत्त्वपूर्ण व्यापार केंद्र हैं। यहाँ के अनेक अनुसंधान केंद्रों में डेरी विज्ञान उद्यान विज्ञान रेशम उत्पादन संस्थान शामिल हैं। शहर से कुछ मील की दूरी पर उत्तर दिशा में बरपानी जल विद्युत घर स्थित है।
शिक्षण संस्थान
यहाँ पर पाश्चर संस्थान मेडिकल रिसर्च इंस्टिट्यूट और दो अस्पताल हैं। जुलाई 1973 में यहाँ नार्थ-ईस्टर्न पर्वतीय विश्वविद्यालय जो एक केंद्रीय विश्वविद्यालय है, के मुख्य परिसर की स्थापना की गई। यहाँ पर पूर्वोत्तर परिषद और इंडियन काउसिंग ऑफ सोशल साइंस रिसर्च के क्षेत्रीय केंद्र के मुख्यालय भी हैं।
सांस्कृतिक क्रियाकलाप
यहाँ पर कुश्ती, फुटबॉल रस्साकशी, भारोत्तोलन और गॉल्फ़ जैसे खेल लोकप्रिय हैं। नृत्य त्योहार शहरी जीवन का महत्त्वपूर्ण हिस्सा हैं। यहां पर प्रत्येक वर्ष शिलांग महोत्सव का आयोजन होता है। इस क्षेत्र की खासी जनजाति के लोगों ने अपनी संस्कृति व परंपरा को सुरक्षित रखा है।
प्रवास
शहरी और महानगरीय प्रभावों के बावजूद यहाँ मातृवंशीय व्यवस्था अभी भी क़ायम है। 1947 में भारत के विभाजन के समय शिलांग की तरफ बड़े पैमाने पर प्रवास हुआ। ज्यादातर प्रवासी सिल्हट ज़िले के थे, जिसे पूर्वी पाकिस्तान (वर्तमान बांग्लादेश) में शामिल कर लिया गया था।
जनसंख्या
2001 की जनगणना के अनुसार शिलांग शहर की कुल जनसंख्या 1,32,876 है; और छावनी क्षेत्र की कुल जनसंख्य 12,385 है।
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