मंगोल: Difference between revisions
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*इसी प्रकार से [[तैमूर]] भी, जिसने भारत पर 1398 ई. में हमला किया, वह भी एक मंगोल था। | *इसी प्रकार से [[तैमूर]] भी, जिसने भारत पर 1398 ई. में हमला किया, वह भी एक मंगोल था। | ||
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*1398 ई. में तैमूर के हमले ने दिल्ली की सल्तनत की नींवें हिला दीं और मुग़ल वंश की स्थापना का मार्ग प्रशस्त कर दिया, जिसने अठारहवीं शताब्दी में ब्रिटिश शासन की स्थापना होने तक इस देश में राज्य किया। | *1398 ई. में तैमूर के हमले ने दिल्ली की सल्तनत की नींवें हिला दीं और मुग़ल वंश की स्थापना का मार्ग प्रशस्त कर दिया, जिसने अठारहवीं शताब्दी में ब्रिटिश शासन की स्थापना होने तक इस देश में राज्य किया। | ||
मंगोल लोग ख़ानाबदोश थे। शहरों और शहरों के रंग-ढंग से भी उन्हें नफ़रत थी। बहुत से लोग समझते हैं कि चूंकि वे ख़ानाबदोश थे, इसलिए जंगली रहे होंगे, लेकिन यह ख्याल ग़लत है। शहर की बहुत सी कलाओं का उन्हें अलबत्ता ज्ञान नहीं था, लेकिन उन्होंने जिन्दगी का अपना एक अलग तरीक़ा ढाल लिया था और उनका संगठन बहुत ही गुंथा हुआ था। लड़ाई के मैदान में अगर उन्होंने महान विजय प्राप्त कीं तो अधिक संख्या होने के कारण नहीं, बल्कि अनुशासन और संगठन के कारण और इसका सबसे बड़ा कारण तो यह था कि उन्हें चंगेज़ जैसा जगमगाता सेनानी मिला था। इसमें कोई शक नहीं कि इतिहास में चंगेज़ जैसा महान और प्रतिभा वाला सैनिक नेता दूसरा कोई नहीं हुआ है। सिकन्दर और सीजर इसके सामने नाचीज़ नज़र आते हैं। चंगेज़ न सिर्फ खुद बहुत बड़ा सिपहसलार था, बल्कि उसने अपने बहुत से फौजी अफसरों को तालीम देकर होशियार नायक बना दिया था। अपने वतन से हज़ारों मील दूर होते हुए भी, दुश्मनों और विरोधी जनता से घिरे रहते हुए भी, वे अपने से ज़्यादा तादाद की फौजों से लड़कर उन पर विजय प्राप्त करते थे। | |||
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Revision as of 04:07, 10 December 2010
- मंगोल, छोटी आँख, पीली चमड़ी वाली एक जाती, जिसके दाढ़ी-मूँछ बहुत कम होती है।
इतिहास
मंगोलों के कई समूह विविध समयों में भारत में आये और उनमें से कुछ यहीं पर बस गए।
- चंगेज़ ख़ाँ, जिसके भारत पर आक्रमण करने का ख़तरा 1211 ई. में उत्पन्न हो गया था, वह एक मंगोल था।
- इसी प्रकार से तैमूर भी, जिसने भारत पर 1398 ई. में हमला किया, वह भी एक मंगोल था।
- चंगेज ख़ाँ और उसके अनुयायी मुसलमान नहीं थे, किन्तु तैमूर और उसके अनुयायी मुसलमान हो गए थे।
- मंगोल लोग ही मुसलमान बनने के बाद 'मुग़ल' कहलाने लगे।
- 1211 ई. में चंगेज ख़ाँ तो सिन्ध नदी से वापस लौट गया, किन्तु उसके बाद मंगोलों ने और कई आक्रमण किए।
- दिल्ली के बलबन और अलाउद्दीन खिलजी जैसे शक्तिशाली सुल्तानों को भी मंगोलों का आक्रमण रोकने में एड़ी-चोट का पसीना एक कर देना पड़ा।
- 1398 ई. में तैमूर के हमले ने दिल्ली की सल्तनत की नींवें हिला दीं और मुग़ल वंश की स्थापना का मार्ग प्रशस्त कर दिया, जिसने अठारहवीं शताब्दी में ब्रिटिश शासन की स्थापना होने तक इस देश में राज्य किया।
मंगोल लोग ख़ानाबदोश थे। शहरों और शहरों के रंग-ढंग से भी उन्हें नफ़रत थी। बहुत से लोग समझते हैं कि चूंकि वे ख़ानाबदोश थे, इसलिए जंगली रहे होंगे, लेकिन यह ख्याल ग़लत है। शहर की बहुत सी कलाओं का उन्हें अलबत्ता ज्ञान नहीं था, लेकिन उन्होंने जिन्दगी का अपना एक अलग तरीक़ा ढाल लिया था और उनका संगठन बहुत ही गुंथा हुआ था। लड़ाई के मैदान में अगर उन्होंने महान विजय प्राप्त कीं तो अधिक संख्या होने के कारण नहीं, बल्कि अनुशासन और संगठन के कारण और इसका सबसे बड़ा कारण तो यह था कि उन्हें चंगेज़ जैसा जगमगाता सेनानी मिला था। इसमें कोई शक नहीं कि इतिहास में चंगेज़ जैसा महान और प्रतिभा वाला सैनिक नेता दूसरा कोई नहीं हुआ है। सिकन्दर और सीजर इसके सामने नाचीज़ नज़र आते हैं। चंगेज़ न सिर्फ खुद बहुत बड़ा सिपहसलार था, बल्कि उसने अपने बहुत से फौजी अफसरों को तालीम देकर होशियार नायक बना दिया था। अपने वतन से हज़ारों मील दूर होते हुए भी, दुश्मनों और विरोधी जनता से घिरे रहते हुए भी, वे अपने से ज़्यादा तादाद की फौजों से लड़कर उन पर विजय प्राप्त करते थे।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
(पुस्तक 'भारतीय इतिहास कोश') पृष्ठ संख्या-342