साईंबाबा जी की आरती: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
No edit summary
Line 17: Line 17:
इच्छित दीन चातक । निर्मळ तोय निजसुख ।
इच्छित दीन चातक । निर्मळ तोय निजसुख ।
पाजावें माधवा या । सांभाळ आपुली भाक ॥७॥</poem></span></blockquote>
पाजावें माधवा या । सांभाळ आपुली भाक ॥७॥</poem></span></blockquote>
 
----
---------------------------------------------------------------------
 
<blockquote><span style="color: blue"><poem>
<blockquote><span style="color: blue"><poem>
आरती उतारे हम तुम्हारी साईँ बाबा ।
आरती उतारे हम तुम्हारी साईँ बाबा ।
Line 45: Line 43:




 
==संबंधित लेख==
 
{{आरती स्तुति स्त्रोत}}
 
[[Category:आरती_स्तुति_स्त्रोत]]
{{लेख प्रगति
[[Category:हिन्दू धर्म कोश]]
|आधार=आधार1
|प्रारम्भिक=
|माध्यमिक=
|पूर्णता=
|शोध=
}}
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
<references/>
[[Category:नया पन्ना]]
__INDEX__
__INDEX__
[[Category:आरती_स्तुति_स्त्रोत]]

Revision as of 06:39, 4 January 2011

thumb|250|साईबाबा
Sai Baba

सौख्यदातारा जीवा । चरणरजतळीं निज दासां विसावां ।
भक्तां विसावा ॥धृ॥
जाळुनियां अनंग । स्वस्वरुपी राहे दंग ।
मुमुक्षुजना दावी । निजडोळां श्रीरंग ॥१॥
जया मनीं जैसा भाव । तया तैसा अनुभव ।
दाविसी दयाघना । ऐसी ही तुझी माव ॥२॥
तुमचें नाम ध्यातां । हरे संसृतिव्यथा ।
अगाध तव करणी । मार्ग दाविसी अनाथा ॥३॥
कलियुगीं अवतार । सगुणब्रह्म साचार ।
अवतीर्ण झालासे । स्वामी दत्त दिगंबर ॥४॥
आठा दिवसां गुरुवारी । भक्त करिती वारी ।
प्रभुपद पहावया । भवभय निवारी ॥५॥
माझा निजद्रव्य ठेवा । तव चरणसेवा ।
मागणें हेंचि आता । तुम्हा देवाधिदेवा ॥६॥
इच्छित दीन चातक । निर्मळ तोय निजसुख ।
पाजावें माधवा या । सांभाळ आपुली भाक ॥७॥


आरती उतारे हम तुम्हारी साईँ बाबा ।
चरणों के तेरे हम पुजारी साईँ बाबा ॥

विद्या बल बुद्धि, बन्धु माता पिता हो
तन मन धन प्राण, तुम ही सखा हो
हे जगदाता अवतारे, साईँ बाबा ।
आरती उतारे हम तुम्हारी साईँ बाबा ॥

ब्रह्म के सगुण अवतार तुम स्वामी
ज्ञानी दयावान प्रभु अंतरयामी
सुन लो विनती हमारी साईँ बाबा ।
आरती उतारे हम तुम्हारी साईँ बाबा ॥

आदि हो अनंत त्रिगुणात्मक मूर्ति
सिंधु करुणा के हो उद्धारक मूर्ति
शिरडी के संत चमत्कारी साईँ बाबा ।
आरती उतारे हम तुम्हारी साईँ बाबा ॥

भक्तों की खातिर, जनम लिये तुम
प्रेम ज्ञान सत्य स्नेह, मरम दिये तुम
दुखिया जनों के हितकारी साईँ बाबा ।
आरती उतारे हम तुम्हारी साईँ बाबा ॥


संबंधित लेख

  1. REDIRECT साँचा:आरती स्तुति स्तोत्र