शीतला मन्दिर गुड़गाँव: Difference between revisions
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Revision as of 13:40, 10 January 2011
हरियाणा में स्थित गुड़गाँव बहुत ही ख़ूबसूरत स्थान है। गुड़गाँव पर्यटन का आकर्षक स्थल है। यह प्रसिद्ध स्थान गुड़गाँव में स्थित है। कहा जाता है कि महाभारत काल में यहाँ आचार्य द्रोणाचार्य कौरवों और पाण्डवों को धनुष विद्या प्रशिक्षण देते थे। कहते हैं जब गुरु द्रोण युद्ध में वीरगति को प्राप्त हुए, तो उनकी पत्नी कृपी अपने पति के साथ सती होने के लिए तैयार हुईं। कृपी कृपाचार्य की पुत्री थी। जब कृपी ने 16 श्रृंगार कर सती होने की प्रथा निभाने के लिए अपने पति की चिता पर बैठना चाहा, तो लोगों ने उनको सती होने से रोका, लेकिन माता कृपी सती होने का निश्चय करके अपने पति की चिता पर बैठ गईं। उन्होंने लोगों को आशीर्वाद दिया कि मेरे इस सती स्थल पर जो भी अपनी मनोकामना लेकर पहुँचेगा, उसकी मनोकामना पूर्ण होगी।
सन 1650 में महाराजा भरतपुर ने गुड़गाँव में जहाँ माता कृपी सती हुई थीं, मंदिर बनवाया और सवा किलो सोने की माता कृपी की मूर्ति बनवाकर वहाँ स्थापित की। इस मंदिर में आज भी भारत के कोने-कोने से लाखों की संख्या में भक्त स्त्री-पुरुष अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिए आते हैं। चैत्र मास के नवरात्रों, वैशाख और आषाढ़ के सम्पूर्ण मास तथा आश्विन के नवरात्रों में भारी मेला लगता है। जिसमें कम से कम 50 लाख यात्री दर्शनाथ आते हैं। यह मंदिर 500 गज के क्षेत्र में बना हुआ है।
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