प्रकर्ष: Difference between revisions

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{{शब्द संदर्भ लघु
{{शब्द संदर्भ लघु
|हिन्दी=उत्तमता, बल, अधिकता, खींचने की क्रिया, विस्तार, विशेषता
|हिन्दी=उत्तमता, बल, अधिकता, खींचने की क्रिया, विस्तार, विशेषता, उत्कर्ष।
|व्याकरण=[संस्कृतभाषा प्र धातु कृष्+घञ्] पुल्लिंग- उत्कर्ष
|व्याकरण= पुल्लिंग
|उदाहरण=काव्यशास्त्र में घटनाओं, भावों आदि के पराकाष्ठा तक क्रमिक उत्थान को प्रकर्ष कहते हैं।
|उदाहरण=काव्यशास्त्र में घटनाओं, भावों आदि के पराकाष्ठा तक क्रमिक उत्थान को प्रकर्ष कहते हैं।
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Revision as of 11:16, 16 January 2011

शब्द संदर्भ
हिन्दी उत्तमता, बल, अधिकता, खींचने की क्रिया, विस्तार, विशेषता, उत्कर्ष।
-व्याकरण    पुल्लिंग
-उदाहरण   काव्यशास्त्र में घटनाओं, भावों आदि के पराकाष्ठा तक क्रमिक उत्थान को प्रकर्ष कहते हैं।
-विशेष    सर्वोंपरिता- वपुः प्रकर्षादजयद्-गुरुं रघुः-[1]
-विलोम   
-पर्यायवाची    उन्नति, अभ्युत्थान, अभ्युदय, उत्कर्ष, उत्थान, उदय, उद्धार, उभार, चढ़न, तरक्की, निखार, प्रगति, बढ़ती, बढ़ोतरी, बेहतरी, लक्ष्मी, विकास, वृद्धि, श्री, संवद्धि, समुद्धार, समृद्धि, सुधार
संस्कृत [प्र+कृष्+घञ्] श्रेष्ठता, प्रमुखता, वर्ण प्रकर्षे सति-[2], तीव्रता, प्रबलता, आधिक्य-प्रकर्षगतेन शोकसंतानेन- [3], सामर्थ्य, शक्ति, निरपेक्षता, लम्बाई, विस्तार, प्रकर्षेण प्रकर्षात् क्रिया विशेषण के रूप में प्रयुक्त होकर ’अत्यंत’ ‘अधिकता के साथ’, या ‘उत्कृष्टता के साथ’ अर्थ प्रकट करते हैं।)
अन्य ग्रंथ
संबंधित शब्द
संबंधित लेख

अन्य शब्दों के अर्थ के लिए देखें शब्द संदर्भ कोश

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. रघुवंश 3|34
  2. कु. 3|28
  3. उत्तर रामचरित 3