हलेबिड: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
('{{tocright}}{{tocright}} होयसल वंश की राजधानी द्वारसमुद्र का वर्त...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
Line 6: Line 6:
अश्वारोही पुरुष, नव-यौवन का श्रृंगार कक्ष, पशु-पक्षियों तथा [[फूल]]-पौधों से सुशोभित उद्यान इत्यादि के उत्कीर्ण चित्र यहाँ के कलाकारों की अद्वितीय रचनाएँ हैं। इस प्रकार मन्दिर की बाहरी दीवारों पर उत्कीर्ण असंख्य मूर्तियों के कारण यह मन्दिर विश्व का सबसे अद्भुत स्मारक तथा मूर्तियों के रुप में प्रकट धार्मिक विचार का अद्वितीय भण्डार बन जाता है।  
अश्वारोही पुरुष, नव-यौवन का श्रृंगार कक्ष, पशु-पक्षियों तथा [[फूल]]-पौधों से सुशोभित उद्यान इत्यादि के उत्कीर्ण चित्र यहाँ के कलाकारों की अद्वितीय रचनाएँ हैं। इस प्रकार मन्दिर की बाहरी दीवारों पर उत्कीर्ण असंख्य मूर्तियों के कारण यह मन्दिर विश्व का सबसे अद्भुत स्मारक तथा मूर्तियों के रुप में प्रकट धार्मिक विचार का अद्वितीय भण्डार बन जाता है।  
====<u>शासनकाल</u>====
====<u>शासनकाल</u>====
[[अलाउद्दीन ख़िलजी]] के शासनकाल में [[मलिक काफ़ूर]] ने द्वारसमुद्र पर 1310 ई. में आक्रमण किया। यहाँ के शासक वीर वल्लाल तृतीय ने संधि कर ली और अलाउद्दीन को वर्षिक कर देना स्वीकार कर लिया था। इसके बावजूद द्वारसमुद्र को लूटा गया। [[मुहम्मद तुग़लक़]] ने होयसल नरेश वीर [[बल्लाल सेन|बल्लाल]] से द्वारसमुद्र के अधिकांश भाग छीन लिया। [[विजयनगर साम्राज्य|विजयनगर]] राज्य के उत्थान के बाद द्वारसमुद्र इस महान् हिन्दू साम्राज्य का अंग बन गया और इसकी स्वतंत्रता सत्ता समाप्त हो गयी।  
[[अलाउद्दीन ख़िलजी]] के शासनकाल में [[मलिक काफ़ूर]] ने द्वारसमुद्र पर 1310 ई. में आक्रमण किया। यहाँ के शासक वीर वल्लाल तृतीय ने संधि कर ली और अलाउद्दीन को वर्षिक कर देना स्वीकार कर लिया था। इसके बावजूद द्वारसमुद्र को लूटा गया। [[मुहम्मद तुग़लक़]] ने होयसल नरेश वीर [[बल्लाल सेन|बल्लाल]] से द्वारसमुद्र के अधिकांश भाग छीन लिया। [[विजयनगर साम्राज्य|विजयनगर]] राज्य के उत्थान के बाद द्वारसमुद्र इस महान [[हिन्दू]] साम्राज्य का अंग बन गया और इसकी स्वतंत्रता सत्ता समाप्त हो गयी।  




Line 17: Line 17:
|शोध=
|शोध=
}}
}}
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
<references/>
<references/>
[[Category:नया पन्ना]]
[[Category:नया पन्ना]]
__INDEX__
__INDEX__

Revision as of 11:22, 28 February 2011

होयसल वंश की राजधानी द्वारसमुद्र का वर्तमान नाम हलेबिड है, जो कर्नाटक के हसन ज़िले में है। हलेबिड की याति इसकी स्थापत्य की विरासत के कारण है। हलेबिड के वर्तमान मन्दिरों में होयसलेश्वर का प्राचीन मन्दिर विख्यात है। यह मन्दिर वास्तुकला का अत्यंत उल्लेखनीय नमूना है। यह मन्दिर बारहवीं-तेरहवीं शताब्दी का है।

इतिहास

होयसल नरेश नरसिंह प्रथम (1152-1173 ई.) के समय लोक निर्माण के मुख्य अधिकारी केतमल्ल की देख रेख में शिल्पकार केदरोज ने इस शानदार मन्दिर का नक्शा बनाया तथा निर्माण कराया। अगले सौ वर्षों तक इसका निर्माण होता रहा। यह दोहरा मन्दिर है। यह मन्दिर शिखर रहित है। मन्दिर की भित्तियों पर चतुर्दिक सात लम्बी पंक्तियों में अद्भुत मूर्तिकारी की गई है। मूर्तिकारी में तत्कालीन भारतीय जीवन के अनेक कलापूर्ण दृश्य जीवित हो उठे हैं।

कला

अश्वारोही पुरुष, नव-यौवन का श्रृंगार कक्ष, पशु-पक्षियों तथा फूल-पौधों से सुशोभित उद्यान इत्यादि के उत्कीर्ण चित्र यहाँ के कलाकारों की अद्वितीय रचनाएँ हैं। इस प्रकार मन्दिर की बाहरी दीवारों पर उत्कीर्ण असंख्य मूर्तियों के कारण यह मन्दिर विश्व का सबसे अद्भुत स्मारक तथा मूर्तियों के रुप में प्रकट धार्मिक विचार का अद्वितीय भण्डार बन जाता है।

शासनकाल

अलाउद्दीन ख़िलजी के शासनकाल में मलिक काफ़ूर ने द्वारसमुद्र पर 1310 ई. में आक्रमण किया। यहाँ के शासक वीर वल्लाल तृतीय ने संधि कर ली और अलाउद्दीन को वर्षिक कर देना स्वीकार कर लिया था। इसके बावजूद द्वारसमुद्र को लूटा गया। मुहम्मद तुग़लक़ ने होयसल नरेश वीर बल्लाल से द्वारसमुद्र के अधिकांश भाग छीन लिया। विजयनगर राज्य के उत्थान के बाद द्वारसमुद्र इस महान हिन्दू साम्राज्य का अंग बन गया और इसकी स्वतंत्रता सत्ता समाप्त हो गयी।



पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ