चन्द्रकेतुगढ़: Difference between revisions
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*[[कलकत्ता विश्वविद्यालय]] द्वारा की गयी खुदाई में इस स्थान से [[मौर्यकाल|मौर्य]]-शुंग काल से लेकर उत्तर गुप्तकाल तक की सभ्यताओं के अवशेष प्राप्त हुए हैं। | *[[कलकत्ता विश्वविद्यालय]] द्वारा की गयी खुदाई में इस स्थान से [[मौर्यकाल|मौर्य]]-[[शुंग काल]] से लेकर उत्तर गुप्तकाल तक की सभ्यताओं के अवशेष प्राप्त हुए हैं। | ||
*सबसे प्राचीन युग में कच्चे मकानों के अवशेष सबसे निचले स्तर में मिले हैं। | *सबसे प्राचीन युग में कच्चे मकानों के अवशेष सबसे निचले स्तर में मिले हैं। | ||
*ये लकड़ी, बाँस आदि के बने हुए थे। इन मकानों का अग्निकाण्ड में नष्ट होने के संकेत मिलते हैं। | *ये लकड़ी, बाँस आदि के बने हुए थे। इन मकानों का अग्निकाण्ड में नष्ट होने के संकेत मिलते हैं। | ||
*मौर्यकालीन बस्तियों में पानी के लिए | *मौर्यकालीन बस्तियों में पानी के लिए खप्परों की बनी नालियों का प्रबंध था। | ||
*यह प्राचीन नगर मिट्टी के प्राकारों से घिरा था, कुछ ऐसे प्रमाण भी इस स्थान से प्राप्त हुए हैं। | *यह प्राचीन नगर मिट्टी के प्राकारों से घिरा था, कुछ ऐसे प्रमाण भी इस स्थान से प्राप्त हुए हैं। | ||
Revision as of 11:55, 28 February 2011
- पश्चिम बंगाल में कलकत्ता से 24 मील दूर ताम्रलिप्ति से उत्तर-पूर्व में स्थित चन्द्रकेतुगढ़ एक प्राचीन स्थल है।
- कलकत्ता विश्वविद्यालय द्वारा की गयी खुदाई में इस स्थान से मौर्य-शुंग काल से लेकर उत्तर गुप्तकाल तक की सभ्यताओं के अवशेष प्राप्त हुए हैं।
- सबसे प्राचीन युग में कच्चे मकानों के अवशेष सबसे निचले स्तर में मिले हैं।
- ये लकड़ी, बाँस आदि के बने हुए थे। इन मकानों का अग्निकाण्ड में नष्ट होने के संकेत मिलते हैं।
- मौर्यकालीन बस्तियों में पानी के लिए खप्परों की बनी नालियों का प्रबंध था।
- यह प्राचीन नगर मिट्टी के प्राकारों से घिरा था, कुछ ऐसे प्रमाण भी इस स्थान से प्राप्त हुए हैं।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ