रजनीगंधा: Difference between revisions

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==रजनीगंधा का पौधा==
==रजनीगंधा का पौधा==
रजनीगंधा अर्धकठोर, बहुवर्षीय, कन्दीय पौधा है। इसका कन्द बहुत सारे शल्क पत्रों से बना होता है तथा तना बहुत ही छोटा होता है। इसकी जड़े उथली एवं शाखीय होती है।<ref>{{cite web |url=http://uttrakrishiprabha.com/wps/portal/!ut/p/kcxml/04_Sj9SPykssy0xPLMnMz0vM0Y_QjzKLN4j3dQLJgFjGpvqRINrNBybiCBFAKPFFiPh65Oem6gcBZSLNgSKGBs76UTmp6YnJlfrB-t76AfoFuaGhEeXejgBpzmUQ/delta/base64xml/L0lJSk03dWlDU1EhIS9JRGpBQU15QUJFUkVSRUlnLzRGR2dkWW5LSjBGUm9YZmcvN18wXzEwQw!!?WCM_PORTLET=PC_7_0_10C_WCM&WCM_GLOBAL_CONTEXT=/wps/wcm/connect/UAAP_HI/Home/Produce/Flower/%E0%A4%B0%E0%A4%9C%E0%A4%A8%E0%A5%80%E0%A4%97%E0%A4%82%E0%A4%A7%E0%A4%BE/ |title=रजनीगंधा |accessmonthday=[[25 अगस्त]] |accessyear=[[2010]] |authorlink= |format= |publisher=उत्तरा कृषि प्रभा |language=हिन्दी }}</ref>  
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==उपयोग==
==उपयोग==
रजनीगंधा के पुष्पों का उपयोग सुंदर मालायें, गुलदस्ते बनाने में किया जाता है। इसकी लम्बी पुष्प डंडियों को सजावट के रूप में काफ़ी प्रयोग किया जाता है। रजनीगंधा के फूलों से सुगन्धित तेल भी तैयार किया जाता है जिसे उच्च स्तर के सुगन्धित इत्र एवं प्रसाधन सामग्री में उपयोग किया जाता है।
रजनीगंधा के पुष्पों का उपयोग सुंदर मालायें, गुलदस्ते बनाने में किया जाता है। इसकी लम्बी पुष्प डंडियों को सजावट के रूप में काफ़ी प्रयोग किया जाता है। रजनीगंधा के फूलों से सुगन्धित तेल भी तैयार किया जाता है जिसे उच्च स्तर के सुगन्धित इत्र एवं प्रसाधन सामग्री में उपयोग किया जाता है।

Revision as of 11:38, 8 March 2011

thumb|रजनीगंधा
Polianthes Tuberosa
रजनीगंधा सुगन्धित फूल है। यह पूरे भारत में पाया जाता है। रजनीगंधा का पुष्प फनल के आकार का और सफ़ेद रंग का लगभग 25 मिलीमीटर लम्बा होता है जो सुगन्धित होते हैं। रजनीगंधा का उत्पत्ति स्थान मैक्सिको या दक्षिण अफ्रीका है, जहाँ से यह विश्व के विभिन्न भागों 16वीं शताब्दी में पहुँचा। ऐसा विश्वास किया जाता है कि भारत में रजनीगंधा को यूरोप होते हुए 16वीं शताब्दी में लाया गया।

रजनीगंधा का पौधा

रजनीगंधा अर्धकठोर, बहुवर्षीय, कन्दीय पौधा है। इसका कन्द बहुत सारे शल्क पत्रों से बना होता है तथा तना बहुत ही छोटा होता है। इसकी जड़े उथली एवं शाखीय होती है।[1]

उपयोग

रजनीगंधा के पुष्पों का उपयोग सुंदर मालायें, गुलदस्ते बनाने में किया जाता है। इसकी लम्बी पुष्प डंडियों को सजावट के रूप में काफ़ी प्रयोग किया जाता है। रजनीगंधा के फूलों से सुगन्धित तेल भी तैयार किया जाता है जिसे उच्च स्तर के सुगन्धित इत्र एवं प्रसाधन सामग्री में उपयोग किया जाता है।

औषधीय उपयोग

रजनीगंधा के सुगंधित फूलों को चॉकलेट से निर्मित पेय पदार्थों में शक्तिवर्धक अथवा शान्तिवर्धक औषधियों के साथ मिलाकर गर्म अथवा ठण्डा पीया जाता है। इसके कन्दों में लाइकोरिन नामक एल्कलायड होता है जिसको प्रयोग कराने से उल्टी हो जाती है। कन्दो को हल्दी तथा मक्खन के साथ पीसकर पेस्ट तैयार कर कील-मुहासों को दूर करने में इसका उपयोग किया जाता है। कन्दो को सुखाकर पाउडर बनाकर इसका प्रयोग गोनोरिया को दूर करने में किया जाता है। जावा में इसके फूलों को सब्जियों के जूस में मिलाकर खाया जाता है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. रजनीगंधा (हिन्दी) उत्तरा कृषि प्रभा। अभिगमन तिथि: 25 अगस्त, 2010

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