वज्रनाभ: Difference between revisions
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Revision as of 10:38, 21 March 2011
श्रीकृष्ण के पोते का नाम वज्रनाभ था। मथुरा के युद्धोपरांत जब द्वारिका नष्ट हो गई, तब श्रीकृष्ण के प्रपौत्र वज्र (वज्रनाभ) मथुरा के राजा हुए थे। उनके नाम पर मथुरा मंडल भी 'वज्र प्रदेश` या `व्रज प्रदेश' कहा जाने लगा।
मन्दिर निर्माण
महाराज वज्रनाभ ने महाराज परीक्षित और महर्षि शांडिल्य के सहयोग से मथुरा मंडल की पुन: स्थापना करके उसकी सांस्कृतिक छवि का पुनरूद्वार किया। वज्रनाभ द्वारा जहाँ अनेक मन्दिरों का निर्माण कराया गया, वहीं भगवान श्रीकृष्णचन्द्र की जन्मस्थली का भी महत्त्व स्थापित किया।
मूर्ति स्थापना
पौराणिक आख्यान के अनुसार भगवान श्री कृष्ण के पौत्र श्री वज्रनाभ ने अपने पूर्वजों की पुण्य स्मृति में तथा उनके उपासना क्रम को संस्थापित करने हेतु 4 देव विग्रह तथा 4 देवियों की मूर्तियाँ निर्माणकर स्थापित की थीं। श्रीकृष्ण के प्रपौत्र महाराज वज्रनाभ ने व्रज में आठ मूर्तियों का आविष्कार किया था। वे हैं-
- चार देव अर्थात् हरदेव
- वलदेव
- केशवदेव
- गोविन्ददेव
- दो नाथ- श्रीनाथ और गोपीनाथ
- दो गोपाल- साक्षी गोपाल और मदनगोपाल– [1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ चारि देव, दुइ नाथ, दुइ गोपाल वाखान। वज्रनाभ प्रकटित एइ आठ मूर्ति जान॥