बंजारा: Difference between revisions
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बंजारा-घुमक्कड़ कबायली जाति। संस्कृत रूप 'वाणिज्यकार'। ये व्यापारी घूम-घूमकर अन्न आदि विक्रेय वस्तु देशभर में पहुँचाते थे। इनकी संख्या [[1901]] ई. की [[भारत की जनसंख्या|भारतीय जनगणना]] में 7,65,861 थी। इनका व्यवसाय रेलवे के चलने से कम हो गया है और अब ये मिश्रित जाति हो गये हैं। ये लोग अपना जन्म सम्बन्ध उत्तर [[भारत]] के ब्राह्मण अथवा क्षत्रिय वर्ण से जोड़ते हैं। दक्षिण में आज भी ये अपने प्राचीन विश्वासों एवं रिवाजों पर चलते देखे जाते हैं, जो द्रविड़वर्ग से मिलते-जुलते हैं। | बंजारा-घुमक्कड़ कबायली जाति। संस्कृत रूप 'वाणिज्यकार'। ये व्यापारी घूम-घूमकर अन्न आदि विक्रेय वस्तु देशभर में पहुँचाते थे। इनकी संख्या [[1901]] ई. की [[भारत की जनसंख्या|भारतीय जनगणना]] में 7,65,861 थी। इनका व्यवसाय रेलवे के चलने से कम हो गया है और अब ये मिश्रित जाति हो गये हैं। ये लोग अपना जन्म सम्बन्ध उत्तर [[भारत]] के ब्राह्मण अथवा क्षत्रिय वर्ण से जोड़ते हैं। दक्षिण में आज भी ये अपने प्राचीन विश्वासों एवं रिवाजों पर चलते देखे जाते हैं, जो द्रविड़वर्ग से मिलते-जुलते हैं। | ||
बंजारों का धर्म जादूगरी है और ये गुरु को मानते हैं। इनका पुरोहित भगत कहलाता है। सभी बीमारियों का कारण इनमें भूत-प्रेत की बाधा, जादू-टोना आदि माना जाता है। इनके देवी-देवताओं की लम्बी तालिका में प्रथम स्थान मरियाई या [[महाकाली]] का है (मातृदेवी का विकराल रूप)। यह देवी भगत के शरीर में उतरती है और फिर वह चमत्कार दिखा सकता है। अन्य हैं, [[गुरु नानक]], बालाजी या [[कृष्ण]] का बालरूप, तुलजा देवी (दक्षिण भारत की प्रसिद्ध तुलजापुर की भवानी माता), शिव भैया, सती, मिट्ठू भूकिया आदि। | बंजारों का [[धर्म]] जादूगरी है और ये गुरु को मानते हैं। इनका पुरोहित भगत कहलाता है। सभी बीमारियों का कारण इनमें भूत-प्रेत की बाधा, जादू-टोना आदि माना जाता है। इनके देवी-देवताओं की लम्बी तालिका में प्रथम स्थान मरियाई या [[महाकाली]] का है (मातृदेवी का विकराल रूप)। यह देवी भगत के शरीर में उतरती है और फिर वह चमत्कार दिखा सकता है। अन्य हैं, [[गुरु नानक]], बालाजी या [[कृष्ण]] का बालरूप, तुलजा देवी (दक्षिण भारत की प्रसिद्ध तुलजापुर की भवानी माता), शिव भैया, सती, मिट्ठू भूकिया आदि। | ||
मध्य भारत के बंजारों में एक विचित्र वृषपूजा का भी प्रचार है। इस जन्तु को हतादिया (अवध्य) तथा बालाजी का सेवक मानकर पूजते हैं, क्योंकि बैलों का कारवाँ ही इनके व्यवसाय का मुख्य सहारा होता है। लाख-लाख बैलों की पीठ पर बोरियाँ लादकर चलने वाले 'लक्खी बंजारे' कहलाते थे। छत्तीसगढ़ के बंजारे 'बंजारा' देवी की पूजा करते हैं, जो इस जाति की मातृशक्ति की द्योतक हैं। सामान्यता ये लोग हिन्दुओं के सभी देवताओं की आराधना करते हैं। | मध्य भारत के बंजारों में एक विचित्र वृषपूजा का भी प्रचार है। इस जन्तु को हतादिया (अवध्य) तथा बालाजी का सेवक मानकर पूजते हैं, क्योंकि बैलों का कारवाँ ही इनके व्यवसाय का मुख्य सहारा होता है। लाख-लाख बैलों की पीठ पर बोरियाँ लादकर चलने वाले 'लक्खी बंजारे' कहलाते थे। छत्तीसगढ़ के बंजारे 'बंजारा' देवी की पूजा करते हैं, जो इस जाति की मातृशक्ति की द्योतक हैं। सामान्यता ये लोग हिन्दुओं के सभी देवताओं की आराधना करते हैं। |
Revision as of 06:03, 8 April 2011
thumb|250px|बंजारे, गुजरात बंजारा-घुमक्कड़ कबायली जाति। संस्कृत रूप 'वाणिज्यकार'। ये व्यापारी घूम-घूमकर अन्न आदि विक्रेय वस्तु देशभर में पहुँचाते थे। इनकी संख्या 1901 ई. की भारतीय जनगणना में 7,65,861 थी। इनका व्यवसाय रेलवे के चलने से कम हो गया है और अब ये मिश्रित जाति हो गये हैं। ये लोग अपना जन्म सम्बन्ध उत्तर भारत के ब्राह्मण अथवा क्षत्रिय वर्ण से जोड़ते हैं। दक्षिण में आज भी ये अपने प्राचीन विश्वासों एवं रिवाजों पर चलते देखे जाते हैं, जो द्रविड़वर्ग से मिलते-जुलते हैं।
बंजारों का धर्म जादूगरी है और ये गुरु को मानते हैं। इनका पुरोहित भगत कहलाता है। सभी बीमारियों का कारण इनमें भूत-प्रेत की बाधा, जादू-टोना आदि माना जाता है। इनके देवी-देवताओं की लम्बी तालिका में प्रथम स्थान मरियाई या महाकाली का है (मातृदेवी का विकराल रूप)। यह देवी भगत के शरीर में उतरती है और फिर वह चमत्कार दिखा सकता है। अन्य हैं, गुरु नानक, बालाजी या कृष्ण का बालरूप, तुलजा देवी (दक्षिण भारत की प्रसिद्ध तुलजापुर की भवानी माता), शिव भैया, सती, मिट्ठू भूकिया आदि।
मध्य भारत के बंजारों में एक विचित्र वृषपूजा का भी प्रचार है। इस जन्तु को हतादिया (अवध्य) तथा बालाजी का सेवक मानकर पूजते हैं, क्योंकि बैलों का कारवाँ ही इनके व्यवसाय का मुख्य सहारा होता है। लाख-लाख बैलों की पीठ पर बोरियाँ लादकर चलने वाले 'लक्खी बंजारे' कहलाते थे। छत्तीसगढ़ के बंजारे 'बंजारा' देवी की पूजा करते हैं, जो इस जाति की मातृशक्ति की द्योतक हैं। सामान्यता ये लोग हिन्दुओं के सभी देवताओं की आराधना करते हैं।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ