ज़री: Difference between revisions

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Revision as of 11:54, 2 May 2011

ज़री सोने का पानी चढ़ा हुआ चाँदी का तार है तथा इस तार से बने वस्त्र भी ज़री कहलाते हैं। ज़री वस्त्र सोने, चाँदी तथा रेशम अथवा तीनों प्रकार के तारों के मिश्रण से बनता है। इन तारों की सहायता से बेलबूटे तथा उभाड़दार अभिकल्प बनाए जाते हैं। बुनकर बुनाई के समय इन तारों का उपयोग अतिरिक्त बाने के रूप में करता है और इनसे केवल अभिकल्प ही बनाए जाते हैं।

प्रचलन

भारतीय किमखाब और पर्शियन सुनहले तारों तथा रेशम के वस्त्र को भी लोग ज़री कहते हैं, किंतु वस्तुत: ये ज़री नहीं हैं, क्योंकि इन वस्त्रों में ज़रीवाली सजावट नहीं होती। लगभग तीन सौ वर्ष पूर्व पर्शिया, सीरिया, उत्तरी अफ्रीका तथा दक्षिणी यूरोप में सुनहले तारों का वस्त्र अंशत: ज़री होता था। इंग्लैंड, फ्रांस, रोम, चीन, तथा जापान में ज़री का प्रचलन प्राचीन काल से है।

ज़रदोज़ी

  1. REDIRECTसाँचा:मुख्य

ज़रदोज़ी का काम एक प्रकार की कढ़ाई होती है। यह काम भारत में ऋग्वेद के समय से प्रचलित है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

मेहरोत्रा, अजीत नारायण “खण्ड 4”, हिन्दी विश्वकोश (हिन्दी)। भारतडिस्कवरी पुस्तकालय: नागरी प्रचारिणी सभा वाराणसी, पृष्ठ संख्या- 400।