अग्निमित्र: Difference between revisions

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*अग्निमित्र (149 - 141 ई. पू.) [[पुष्यमित्र शुंग|पुष्यमित्र]] का बेटा और [[शुंग वंश]] का द्वितीय राजा था।
*अग्निमित्र (149 - 141 ई. पू.) [[पुष्यमित्र शुंग|पुष्यमित्र]] का बेटा और [[शुंग वंश]] का द्वितीय राजा था।
*अपने पिता के राज्यकाल में वह नर्मदा प्रदेश का उपराजा था और उसने अपनी राजधानी [[विदिशा]] में रखी थी। विदिशा को आजकल भिलसा कहा जाता है।  
*अपने पिता के राज्यकाल में वह नर्मदा प्रदेश का उपराजा था और उसने अपनी राजधानी [[विदिशा]] में रखी थी। विदिशा को आजकल [[भिलसा]] कहा जाता है।  
*उसने अपने दक्षिणी पड़ोसी विदर्भ (बरार) के राजा को पराजित किया और शुंग राज्य को वर्धानदी के तट तक फैला दिया। 149 ई. पू. में वह अपने पिता का उत्तराधिकारी बना और [[पुराण|पुराणों]] के अनुसार उसने आठ वर्ष तक राज्य किया।  
*उसने अपने दक्षिणी पड़ोसी विदर्भ (बरार) के राजा को पराजित किया और शुंग राज्य को वर्धानदी के तट तक फैला दिया। 149 ई. पू. में वह अपने पिता का उत्तराधिकारी बना और [[पुराण|पुराणों]] के अनुसार उसने आठ वर्ष तक राज्य किया।  
*[[कालिदास]] के प्रसिद्ध नाटक 'मालविकाग्निमित्र' में इसी अग्निमित्र की प्रेम कथा का वर्णन है। इसके नाम के अनेक सिक्के भी मिले हैं।
*[[कालिदास]] के प्रसिद्ध नाटक 'मालविकाग्निमित्र' में इसी अग्निमित्र की प्रेम कथा का वर्णन है। इसके नाम के अनेक सिक्के भी मिले हैं।

Revision as of 11:32, 8 June 2011

  • अग्निमित्र (149 - 141 ई. पू.) पुष्यमित्र का बेटा और शुंग वंश का द्वितीय राजा था।
  • अपने पिता के राज्यकाल में वह नर्मदा प्रदेश का उपराजा था और उसने अपनी राजधानी विदिशा में रखी थी। विदिशा को आजकल भिलसा कहा जाता है।
  • उसने अपने दक्षिणी पड़ोसी विदर्भ (बरार) के राजा को पराजित किया और शुंग राज्य को वर्धानदी के तट तक फैला दिया। 149 ई. पू. में वह अपने पिता का उत्तराधिकारी बना और पुराणों के अनुसार उसने आठ वर्ष तक राज्य किया।
  • कालिदास के प्रसिद्ध नाटक 'मालविकाग्निमित्र' में इसी अग्निमित्र की प्रेम कथा का वर्णन है। इसके नाम के अनेक सिक्के भी मिले हैं।


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