गोपाल प्रथम: Difference between revisions

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Revision as of 09:41, 27 June 2011

  • गोपाल प्रथम बंगाल और बिहार पर लगभग चार शताब्दी तक शासन करने वाले पाल वंश का संस्थापक था।
  • उसके पिता का नाम 'वप्यट' और 'पितामह' का नाम 'दयितविष्णु' था।
  • इन दोनों का सम्बन्ध सम्भवत: किसी राजकुल से नहीं था।
  • शशांक की मृत्यु तथा हर्षवर्धन के पश्चात् बंगाल की राजनीतिक स्थिति काफ़ी अस्त-व्यस्त हो गयी थी।
  • इस स्थिति को अभिलेखों में 'मत्स्य न्याय' की संज्ञा दी गयी है, इसके अन्तर्गत अधिक शक्तिशाली व्यक्ति कमज़ोर व्यक्ति का शोषण करता था।
  • 'खालिमपुर अभिलेख' में कहा गया है कि, 'मत्स्य न्याय' से छुटकारा पाने के लिए प्रकृतियों (सामान्य जनता) ने गोपाल प्रथम को लक्ष्मी का बांह ग्रहण कराई तथा उसे अपना शासक नियुक्त किया।
  • गोपाल प्रथम का शासन लगभग 750 से 770 ई. तक था।
  • इसके द्वारा कहाँ-कहाँ विजय प्राप्त की गईं, इस बारे में ठीक से कुछ भी ज्ञात नहीं है।
  • तिब्बती लामा एवं इतिहासकार 'तारानाथ' के अनुसार गोपाल प्रथम ने 'ओदान्तपुर' में एक मठ का निर्माण करवाया था।
  • गोपाल प्रथम के द्वारा स्थापित पाल वंश ने दीर्घकाल तक शासन किया।
  • पाल वंश के अधिकांश राजा बौद्ध थे।
  • 12वीं शताब्दी तक बंगाल-बिहार पर इस वंश के राजाओं का शासन रहा।
  • 1197 ई. में मुसलमानों ने इस पर विजय प्राप्त कर ली।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

भट्टाचार्य, सच्चिदानन्द भारतीय इतिहास कोश, द्वितीय संस्करण-1989 (हिन्दी), भारत डिस्कवरी पुस्तकालय: उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, 134।

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