हकीम अजमल ख़ाँ: Difference between revisions

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[[चित्र:Ajmal-Khan.jpg|thumb|200px|हकीम अजमल ख़ाँ]]हकीम अजमल ख़ाँ (जन्म- [[1863]] [[दिल्ली]], मृत्यु- [[29 दिसम्बर]], [[1927]]) राष्ट्रीय विचारधारा के समर्थक और यूनानी पद्धति के प्रसिद्ध चिकित्सक थे। हकीम अजमल ख़ाँ का जन्म 1865 ई. में दिल्ली के उस परिवार में हुआ, जिसके पुरखे [[मुग़ल]] सम्राटों के पारिवारिक चिकित्सक रहते आए थे। अजमल ख़ाँ हकीमी अपनी शिक्षा प्राप्त करने के बाद 10 वर्षों तक रामपुर रियासत के हकीम रहे। [[1902]] ई. में वे ईराक चले गए और वापस आने पर दिल्ली में ‘मदरसे तिब्बिया’ की नींव डाली, जो अब ‘तिब्बिया कॉजेल’ के नाम से प्रसिद्ध है।
[[चित्र:Ajmal-Khan.jpg|thumb|200px|हकीम अजमल ख़ाँ]]हकीम अजमल ख़ाँ (जन्म- 1863 [[दिल्ली]], मृत्यु- [[29 दिसम्बर]], [[1927]]) राष्ट्रीय विचारधारा के समर्थक और यूनानी पद्धति के प्रसिद्ध चिकित्सक थे। हकीम अजमल ख़ाँ का जन्म 1865 ई. में दिल्ली के उस परिवार में हुआ, जिसके पुरखे [[मुग़ल]] सम्राटों के पारिवारिक चिकित्सक रहते आए थे। अजमल ख़ाँ हकीमी अपनी शिक्षा प्राप्त करने के बाद 10 वर्षों तक रामपुर रियासत के हकीम रहे। [[1902]] ई. में वे ईराक चले गए और वापस आने पर दिल्ली में ‘मदरसे तिब्बिया’ की नींव डाली, जो अब ‘तिब्बिया कॉजेल’ के नाम से प्रसिद्ध है।
==राजनीति में प्रवेश==
==राजनीति में प्रवेश==
[[1918]] में हकीम अजमल ख़ाँ [[कांग्रेस]] में सम्मिलित हो गए। [[1920]] में आपने ‘जामिया मिलिया’ की स्थापना में भी अपना योगदान दिया। [[1921]] में आपने कांग्रेस के [[अहमदाबाद]] अधिवेशन की और ख़िलाफ़त कांग्रेस की अध्यक्षता की। ‘ऑल इण्डिया गो रक्षा कांफ़्रेंस’, जिसके अध्यक्ष [[लाला लाजपत राय]] थे, स्वागत समिति की अध्यक्षता का दायित्व भी हकीम साहब ने ही उठाया था। उस सम्मेलन में [[मुसलमान|मुसलमानों]] से अपील की गई थी कि, वे इस मामले में [[हिन्दू|हिन्दुओं]] की भावनाओं का सम्मान करें।
[[1918]] में हकीम अजमल ख़ाँ [[कांग्रेस]] में सम्मिलित हो गए। [[1920]] में आपने ‘जामिया मिलिया’ की स्थापना में भी अपना योगदान दिया। [[1921]] में आपने कांग्रेस के [[अहमदाबाद]] अधिवेशन की और ख़िलाफ़त कांग्रेस की अध्यक्षता की। ‘ऑल इण्डिया गो रक्षा कांफ़्रेंस’, जिसके अध्यक्ष [[लाला लाजपत राय]] थे, स्वागत समिति की अध्यक्षता का दायित्व भी हकीम साहब ने ही उठाया था। उस सम्मेलन में [[मुसलमान|मुसलमानों]] से अपील की गई थी कि, वे इस मामले में [[हिन्दू|हिन्दुओं]] की भावनाओं का सम्मान करें।

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thumb|200px|हकीम अजमल ख़ाँहकीम अजमल ख़ाँ (जन्म- 1863 दिल्ली, मृत्यु- 29 दिसम्बर, 1927) राष्ट्रीय विचारधारा के समर्थक और यूनानी पद्धति के प्रसिद्ध चिकित्सक थे। हकीम अजमल ख़ाँ का जन्म 1865 ई. में दिल्ली के उस परिवार में हुआ, जिसके पुरखे मुग़ल सम्राटों के पारिवारिक चिकित्सक रहते आए थे। अजमल ख़ाँ हकीमी अपनी शिक्षा प्राप्त करने के बाद 10 वर्षों तक रामपुर रियासत के हकीम रहे। 1902 ई. में वे ईराक चले गए और वापस आने पर दिल्ली में ‘मदरसे तिब्बिया’ की नींव डाली, जो अब ‘तिब्बिया कॉजेल’ के नाम से प्रसिद्ध है।

राजनीति में प्रवेश

1918 में हकीम अजमल ख़ाँ कांग्रेस में सम्मिलित हो गए। 1920 में आपने ‘जामिया मिलिया’ की स्थापना में भी अपना योगदान दिया। 1921 में आपने कांग्रेस के अहमदाबाद अधिवेशन की और ख़िलाफ़त कांग्रेस की अध्यक्षता की। ‘ऑल इण्डिया गो रक्षा कांफ़्रेंस’, जिसके अध्यक्ष लाला लाजपत राय थे, स्वागत समिति की अध्यक्षता का दायित्व भी हकीम साहब ने ही उठाया था। उस सम्मेलन में मुसलमानों से अपील की गई थी कि, वे इस मामले में हिन्दुओं की भावनाओं का सम्मान करें।

हकीम

अजमल ख़ाँ की हकीम के रूप में देशव्यापी ख्याति थी। पर वे धन के पीछे नहीं दौड़ते थे। उनके लिए सब रोगी समान थे। एक ग़रीब लड़के की चिकित्सा करते समय उन्होंने ग्वालियर नरेश का अग्रिम भेजा दस हज़ार रुपया लौटा दिया था। वे राजनीति के क्षेत्र में केवल नौ वर्ष ही सक्रिय रह सके। 29 दिसम्बर, 1927 ई. को उनका निधन हो गया।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  • पुस्तक भारतीय चरित कोश पृष्ठ संख्या-967 से