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[[मथुरा]]-[[वृन्दावन]] मार्ग पर मथुरा से प्रायः 5 कि॰मी॰ पर बिरलाजी का मन्दिर बना है। इसे गीता मन्दिर भी कहा जाता है। सेठ जुगलकिशोर बिरला ने इसका निर्माण कराया था। यह [[दिल्ली]] के विशाल भव्य [[लक्ष्मीनारायण मन्दिर]] का ही छोटा रूप है। मन्दिर एक प्रशस्त लम्बे-चौड़े विशाल भूभाग में बना हुआ है, जो ऊँची पक्की चहारदीवारी से घिरा है। इसमें पांचजन्य शंख और सुदर्शन चक्र लिये हुए भगवान [[कृष्ण|श्रीकृष्ण]] की भव्य श्वेत प्रतिमा प्रतिष्ठित हैं। साथ ही भगवान [[सीता]] [[राम]] एवं भगवान लक्ष्मीनारायन के भी विग्रह प्रितिष्ठित हैं। देवालय के उत्तर में लाल पत्थर का एक स्तंभ है, जिस पर सम्पूर्ण [[गीता]] खुदी हुई है। मन्दिर का परिषद रमणीक उ़द्यान से आच्छादित है। मन्दिर के सामने यात्रियों के विश्राम के लिए धर्मशाला भी बनी हुई है। | [[मथुरा]]-[[वृन्दावन]] मार्ग पर मथुरा से प्रायः 5 कि॰मी॰ पर बिरलाजी का मन्दिर बना है। इसे गीता मन्दिर भी कहा जाता है। सेठ जुगलकिशोर बिरला ने इसका निर्माण कराया था। यह [[दिल्ली]] के विशाल भव्य [[लक्ष्मीनारायण मन्दिर]] का ही छोटा रूप है। मन्दिर एक प्रशस्त लम्बे-चौड़े विशाल भूभाग में बना हुआ है, जो ऊँची पक्की चहारदीवारी से घिरा है। इसमें पांचजन्य शंख और सुदर्शन चक्र लिये हुए भगवान [[कृष्ण|श्रीकृष्ण]] की भव्य श्वेत प्रतिमा प्रतिष्ठित हैं। साथ ही भगवान [[सीता]] [[राम]] एवं भगवान लक्ष्मीनारायन के भी विग्रह प्रितिष्ठित हैं। देवालय के उत्तर में लाल पत्थर का एक स्तंभ है, जिस पर सम्पूर्ण [[गीता]] खुदी हुई है। मन्दिर का परिषद रमणीक उ़द्यान से आच्छादित है। मन्दिर के सामने यात्रियों के विश्राम के लिए धर्मशाला भी बनी हुई है। | ||
Revision as of 05:31, 7 May 2010
बिरला मंदिर / Birla Temple मथुरा-वृन्दावन मार्ग पर मथुरा से प्रायः 5 कि॰मी॰ पर बिरलाजी का मन्दिर बना है। इसे गीता मन्दिर भी कहा जाता है। सेठ जुगलकिशोर बिरला ने इसका निर्माण कराया था। यह दिल्ली के विशाल भव्य लक्ष्मीनारायण मन्दिर का ही छोटा रूप है। मन्दिर एक प्रशस्त लम्बे-चौड़े विशाल भूभाग में बना हुआ है, जो ऊँची पक्की चहारदीवारी से घिरा है। इसमें पांचजन्य शंख और सुदर्शन चक्र लिये हुए भगवान श्रीकृष्ण की भव्य श्वेत प्रतिमा प्रतिष्ठित हैं। साथ ही भगवान सीता राम एवं भगवान लक्ष्मीनारायन के भी विग्रह प्रितिष्ठित हैं। देवालय के उत्तर में लाल पत्थर का एक स्तंभ है, जिस पर सम्पूर्ण गीता खुदी हुई है। मन्दिर का परिषद रमणीक उ़द्यान से आच्छादित है। मन्दिर के सामने यात्रियों के विश्राम के लिए धर्मशाला भी बनी हुई है।
वन्दावनस्थ प्रमुख मन्दिर और दर्शनीय स्थलों की अद्यतन सूची इस प्रकार है-
- मन्दिर श्री बाँकेबिहारी
- गोपीश्वर महादेवजी
- रगजी, मदनमोहनजी
- गोविन्ददेवजी
- राधाबल्लभजी
- काँच का मन्दिर
- लालाबाबू का मन्दिर
- ब्रह्मचारीजी का मन्दिर
- टिकारी रानी का मन्दिर
- गोपीनाथजी का मन्दिर
- षड्भुज महाप्रभु का मन्दिर
- राधारमणजी का मन्दिर
- शाहजी का मन्दिर
- राधादामोदरजी का मन्दिर
- जयपुर वाला मन्दिर
- कृष्ण बलराम मन्दिर (इस्कौन)
- पागल बाबा का मन्दिर
- निधिबन
- मीराबाई मन्दिर
- तराश मन्दिर छोटी कुंज
- बड़ी कुंज