तैत्तिरीयोपनिषद भृगुवल्ली अनुवाक-9: Difference between revisions
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Revision as of 14:46, 11 September 2011
- तैत्तिरीयोपनिषद के भृगुवल्ली का यह नौवाँ अनुवाक है।
- REDIRECTसाँचा:मुख्य
- अन्न की पैदावार बढ़ायें।
- पृथ्वी ही अन्न है और अन्न का उत्पादन बढ़ाना ही संकल्प होना चाहिए।
- आकाश अन्न का आधार है, इसीलिए वह उसका उपभोक्ता है।
- पृथ्वी में आकाश और आकाश में पृथ्वी स्थित है।
- इस प्रकार अन्न में ही अन्न अधिष्ठित है।
- जो साधक इस रहस्य को जान लेता है, वह यश का भागी होता है।
- उसे समस्त सुख-वैभव सहज ही उपलब्ध हो जाते हैं।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
संबंधित लेख
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तैत्तिरीयोपनिषद भृगुवल्ली |
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