मालाबार तट: Difference between revisions
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Revision as of 07:28, 24 October 2011
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दक्षिणी भारत के पश्चिमी समुद्र तट के लिए लंबे समय से प्रचलित नाम, जिसकी पूर्वी सीमा पश्चिमी घाट की क्षेणियाँ हैं। इस नाम के दायरे में कभी-कभी प्रायद्वीपिय भारत के समूचे पश्चिमी तट को भी शामिल किया जाता है। इसमें अब केरल राज्य का अधिकांश हिस्सा और कर्नाटक का तटीय क्षेत्र शामिल है। यह तट रेतीले टीलों की सतत पट्टी से युक्त है। इसके पीछे तट के समानांतर कई समुद्रताल (लैगून) हैं, जो नहरों के द्वारा एक-दूसरे से जुड़कर जलमार्ग का निर्माण करते हैं, जिसका उपयोग छोटी नौकाएं करती हैं। भीटरी क्षेत्र समतल जलोढ़ भूमि का है, जिसे पश्चिमी घाट से बहकर आने वाली धाराओं में काफ़ी मात्रा में पानी मिलता है। चावल तथा मसाले यहाँ की प्रमुख फ़सलें है और तटीय रेतीले टीलों में नारियल के वृक्ष उगते हैं। मछली पकड़ने का काम भी महत्त्वपूर्ण है। कोच्चि एक महत्त्वपूर्ण बंदरगाह है।
मालाबार तट का एक विशाल हिस्सा प्राचीन केरलपुत्र (चेर वंश) राज्य के अधीन था। पुर्तग़ालियों ने वहाँ कई व्यापारिक चौकियां बनाई थी और 17वीं शताब्दी में डच तथा 18वीं शताब्दी में फ़्रांसीसियों ने भी उनका अनुसरण किया। 18वीं शताब्दी में इस क्षेत्र पर अंग्रेज़ों का क़ब्ज़ा हो गया।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ