अदालत -अवतार एनगिल: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
No edit summary
Line 44: Line 44:
साक्षी देता है
साक्षी देता है
और कहता है
और कहता है
हवा को आग----आग को हवा
हवा को आग - आग को हवा
कितना झूठा है 'आंखों देखा सच्च
कितना झूठा है 'आंखों देखा सच्च
कितना सच्चा है कविता का झूठ ।
कितना सच्चा है कविता का झूठ ।
Line 53: Line 53:
काले लबादे वाला भील
काले लबादे वाला भील
क़ानून का भाला लिए
क़ानून का भाला लिए
कितावों का हवाला लिए
किताबों का हवाला लिए
देखता है सिर्फ
देखता है सिर्फ
अभियुक्त का गला
अभियुक्त का गला
Line 59: Line 59:
दनदनाता है टाईपराईटर
दनदनाता है टाईपराईटर
ठीक करते हैं आप
ठीक करते हैं आप
गले बंधे झूठ की गांठ ।
गले बंधे झूठ की गांठ।


'''<big>न्यायाधीश
'''<big>न्यायाधीश</big>'''
</big>'''
 
एक अदद न्यायाधीष
एक अदद न्यायाधीश
लंच के बाद
लंच के बाद
निकालते हैं
निकालते हैं
टूथ प्रिक से
टूथ पिक से
जाने किसका
जाने किसका
दांतों फंसा मांस
दांतों फंसा मांस
Line 75: Line 75:
जानते हैं खूब
जानते हैं खूब
कि वकील की दलील ने
कि वकील की दलील ने
पेशियों की तारीखें ही बदलनी हैं
पेशियों की तारीख़ें ही बदलनी हैं
जस्टिस डिलेड इज़ दा जस्टिस अवार्डिड ।
जस्टिस डिलेड इज़ जस्टिस अवार्डिड ।
 
'''<big>अभियुक्त</big>'''


'''<big>अभियुक्त
एक अदद अभियुक्त
</big>'''
एक अदद अभियुक्त्
कटघरे में नियम बंधा
कटघरे में नियम बंधा
चौंधिया गया था
चौंधिया गया था
Line 94: Line 94:
'''<big>अदालत</big>'''
'''<big>अदालत</big>'''


एक अदद चश्मदीद गवाह----गंगा राम
एक अदद चश्मदीद गवाह - गंगा राम
एक अदद वकील----काले लबादे वाला भील
एक अदद वकील - काले लबादे वाला भील
एक मांसाहारी न्यायाधीष
एक मांसाहारी न्यायाधीश
देते हैं निर्णय :
देते हैं निर्णय :
एक अदद शाकाहारी अभियुक्त निश्चय ही दोषी है।</poem>
एक अदद शाकाहारी अभियुक्त निश्चय ही दोषी है।</poem>

Revision as of 05:37, 14 December 2011

अदालत -अवतार एनगिल
कवि अवतार एनगिल
मूल शीर्षक सूर्य से सूर्य तक
देश भारत
पृष्ठ: 88
भाषा हिन्दी
विषय कविता
प्रकार काव्य संग्रह
अवतार एनगिल की रचनाएँ




साक्षी
एक अदद
चश्मदीद गवाह
गंगा राम
वल्द गीता राम
असुरक्षा के बेपैंदे धरातल पर खड़ा
साक्षी देता है
और कहता है
हवा को आग - आग को हवा
कितना झूठा है 'आंखों देखा सच्च
कितना सच्चा है कविता का झूठ ।

वकील

एक अदद वकील
काले लबादे वाला भील
क़ानून का भाला लिए
किताबों का हवाला लिए
देखता है सिर्फ
अभियुक्त का गला
लहराते हैं 'तथ्य'
दनदनाता है टाईपराईटर
ठीक करते हैं आप
गले बंधे झूठ की गांठ।

न्यायाधीश

एक अदद न्यायाधीश
लंच के बाद
निकालते हैं
टूथ पिक से
जाने किसका
दांतों फंसा मांस
कुछ ही दिनों में
बदली के साथ-साथ
हो जाएगी तरक्की भी

जानते हैं खूब
कि वकील की दलील ने
पेशियों की तारीख़ें ही बदलनी हैं
जस्टिस डिलेड इज़ द जस्टिस अवार्डिड ।

अभियुक्त

एक अदद अभियुक्त
कटघरे में नियम बंधा
चौंधिया गया था
और फिर बिंध गईं थीं उसकी आँखें
शब्दों की शमशीरों से

प्रतिलिपियों के खर्चों झुका
तर्कों के घ्रेरों रुका
पगला गया है
इस व्यूह में
धनुषधारी अर्जुन का बेटा ।

अदालत

एक अदद चश्मदीद गवाह - गंगा राम
एक अदद वकील - काले लबादे वाला भील
एक मांसाहारी न्यायाधीश
देते हैं निर्णय :
एक अदद शाकाहारी अभियुक्त निश्चय ही दोषी है।


टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख