आमेर का क़िला जयपुर: Difference between revisions
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[[चित्र:Amber-Fort-Jaipur-2.jpg|[[आमेर का क़िला जयपुर|आमेर का क़िला]], जयपुर<br /> Amber Fort, Jaipur|thumb]] | |||
शहर से 11 कि॰मी॰ दूर अरावली पर्वतमाल पर स्थित आमेर का किला [[राजपूत]] वास्तुकला का अद़भुत उदाहरण है। प्राचीन काल में अम्बावती और अम्बिबकापुर के नाम से आमेर कछवाह राजाओं की राजधानी रहा है। आमेर किले के राजमहलों का निर्माण मिर्जा [[राजा मानसिंह]] ने करवाया था। [[सवाई जयसिंह]] ने इसमें कुछ नये भवनों का निर्माण करवाया। [[हिन्दू शैली|हिन्दू]] और [[फारसी शैली]] के मिश्रित स्वरूप का यह किला देश में अपना एक विशिष्ट स्थान रखता है। महल के मुख्य द्वार के बाहर कछवाहा राजाओं की कुल देवी [[शिला माता]] का मंदिर है। महल मे धुसते ही 20 खम्भों का राजपूत भवन शैली पर सफेद संगमरमर व लाल पत्थर का बना दीवाने आम है। दीवाने खास और शीश महल पर्यटकों के आकर्षण का विशेष केन्द्र है। महल में [[मावठा झील]] से आती ठण्डी हवाओं का आनन्द लेने के लिये सुख निवास भी स्थित है। रानियों के लिये अनेक निजी कक्ष भी निर्मित है। | शहर से 11 कि॰मी॰ दूर अरावली पर्वतमाल पर स्थित आमेर का किला [[राजपूत]] वास्तुकला का अद़भुत उदाहरण है। प्राचीन काल में अम्बावती और अम्बिबकापुर के नाम से आमेर कछवाह राजाओं की राजधानी रहा है। आमेर किले के राजमहलों का निर्माण मिर्जा [[राजा मानसिंह]] ने करवाया था। [[सवाई जयसिंह]] ने इसमें कुछ नये भवनों का निर्माण करवाया। [[हिन्दू शैली|हिन्दू]] और [[फारसी शैली]] के मिश्रित स्वरूप का यह किला देश में अपना एक विशिष्ट स्थान रखता है। महल के मुख्य द्वार के बाहर कछवाहा राजाओं की कुल देवी [[शिला माता]] का मंदिर है। महल मे धुसते ही 20 खम्भों का राजपूत भवन शैली पर सफेद संगमरमर व लाल पत्थर का बना दीवाने आम है। दीवाने खास और शीश महल पर्यटकों के आकर्षण का विशेष केन्द्र है। महल में [[मावठा झील]] से आती ठण्डी हवाओं का आनन्द लेने के लिये सुख निवास भी स्थित है। रानियों के लिये अनेक निजी कक्ष भी निर्मित है। | ||
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[[चित्र:Amber-Fort-Jaipur-2.jpg|आमेर का क़िला, जयपुर
Amber Fort, Jaipur|thumb]]
शहर से 11 कि॰मी॰ दूर अरावली पर्वतमाल पर स्थित आमेर का किला राजपूत वास्तुकला का अद़भुत उदाहरण है। प्राचीन काल में अम्बावती और अम्बिबकापुर के नाम से आमेर कछवाह राजाओं की राजधानी रहा है। आमेर किले के राजमहलों का निर्माण मिर्जा राजा मानसिंह ने करवाया था। सवाई जयसिंह ने इसमें कुछ नये भवनों का निर्माण करवाया। हिन्दू और फारसी शैली के मिश्रित स्वरूप का यह किला देश में अपना एक विशिष्ट स्थान रखता है। महल के मुख्य द्वार के बाहर कछवाहा राजाओं की कुल देवी शिला माता का मंदिर है। महल मे धुसते ही 20 खम्भों का राजपूत भवन शैली पर सफेद संगमरमर व लाल पत्थर का बना दीवाने आम है। दीवाने खास और शीश महल पर्यटकों के आकर्षण का विशेष केन्द्र है। महल में मावठा झील से आती ठण्डी हवाओं का आनन्द लेने के लिये सुख निवास भी स्थित है। रानियों के लिये अनेक निजी कक्ष भी निर्मित है।