आतंक -कुलदीप शर्मा: Difference between revisions
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
No edit summary |
व्यवस्थापन (talk | contribs) m (Text replace - "ज्यादा" to "ज़्यादा") |
||
Line 68: | Line 68: | ||
बच्चों को टाँगों पर झुलाते हुए लोरी सुनाना़ | बच्चों को टाँगों पर झुलाते हुए लोरी सुनाना़ | ||
बिना जाने कि पहले ही भरी बैठी है बन्दूक | बिना जाने कि पहले ही भरी बैठी है बन्दूक | ||
और उससे भी | और उससे भी ज़्यादा भरा बैठा है | ||
वह आदमी़ | वह आदमी़ | ||
बाढ़ या भूकम्प | बाढ़ या भूकम्प | ||
Line 85: | Line 85: | ||
कितनी हैं ? | कितनी हैं ? | ||
देखे कि जहाँ उन्हें | देखे कि जहाँ उन्हें | ||
रौंदे जाने का खतरा सबसे | रौंदे जाने का खतरा सबसे ज़्यादा है | ||
वहीं सबसे | वहीं सबसे ज़्यादा खिले हैं फूल | ||
फूल मुस्करा रहे हैं जनपथ पर भी | फूल मुस्करा रहे हैं जनपथ पर भी | ||
जहॉं से फौजियों को गुज़रना है कल | जहॉं से फौजियों को गुज़रना है कल |
Revision as of 07:40, 5 March 2012
| ||||||||||||||
|
|